15 अप्रैल 2025 :
US-China Tariff War: अमेरिका और चीन के बीच शुरू हुए टैरिफ वॉर की चपेट में अब एविएशन सेक्टर भी आ गया है. चीन ने अपनी एयरलाइंस को अमेरिकी कंपनी बोइंग से जेट की डिलीवरी नहीं लेने का आदेश दिया है. चीनी सरकार ने अपने एयरलाइंस को निर्देश दिया है कि वे अमेरिका से एयरक्राफ्ट उपकरण और पार्ट्स की खरीद भी रोक दें.
एविएशन कंपनियों पर टैरिफ का असर
अमेरिका अब चीन से आयात पर 145 फीसदी तक टैरिफ लगा रहा है. वहीं चीन ने अमेरिकी आयात पर 125 फीसदी का जवाबी शुल्क लगाया है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सरकार उन एविएशन कंपनियों की मदद करने पर विचार कर रही है, जो बोइंग जेट विमानों को लीज पर लेती हैं और उसके लिए ज्यादा पैसे चुकाती हैं. फिलहाल बोइंग और संबंधित चीनी एयरलाइंस की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
उत्पादन और डिलीवरी पर पड़ेगा असर
एविएशन फ़्लाइट्स ग्रुप के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 10 बोइंग 737 मैक्स विमान चीनी एयरलाइन बेड़े में शामिल होने के लिए तैयार है, जिनमें चाइना सदर्न एयरलाइंस कंपनी, एयर चाइना लिमिटेड और जियामेन एयरलाइंस कंपनी के दो-दो विमान शामिल हैं. प्रोडक्शन ट्रैकिंग फर्म की वेबसाइट के अनुसार, कुछ जेट सिएटल में बोइंग के फैक्ट्री बेस के पास खड़े हैं, जबकि अन्य पूर्वी चीन के झोउशान में फिनिशिंग सेंटर में हैं. जिन विमानों के कागजात और भुगतान पहले हो चुके हैं, उन्हें केस-बाय-केस आधार पर मंजूरी मिल सकती है.
दूसरा सबसे बड़ा एविएशन बाजार है चीन
चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एविएशन बाजार है. अगले 20 सालों में ग्लोबल एयरक्राफ्ट डिमांड में चीन की 20 फीसदी हिस्सेदारी होने का अनुमान है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्ते जूनयाओ एयरलाइंस कंपनी बोइंग 787-9 ड्रीमलाइनर विमान की डिलीवरी में देरी कर रही थी, जिसे लगभग तीन सप्ताह में डिलीवरी देनी थी. बोइंग ने साल 2018 में कुल विमानों में से 25 फीसदी से ज्यादा चीन को सप्लाई किए थे, लेकिन साल 2019 में दो विमान के क्रैश होने के बाद चीन ने सबसे पहले बोइंग 737 मैक्स को ग्राउंड किया था.
साल 2024 में बोइंग के क्वालिटी पर सवाल उठे थे, जब जनवरी में बीच उड़ान में प्लेन का एक डोर प्लग फट गया था. चीन पहले से ही एयरबस SE की ओर झुकाव दिखा चुका है. वहीं घरेलू स्तर पर बनी COMAC C919 भी बोइंग का विकल्प बनता जा रहा है.