सीजी भास्कर, 16 अप्रैल। आगामी 2 मई से शुरू हो रही केदारनाथ यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए प्रशासन ने एक अहम कदम उठाया है।
इस वर्ष यात्रा के दौरान यदि कोई घोड़ा या खच्चर बीमार पाया गया तो उसे तुरंत क्वारंटीन किया जाएगा, जिससे अन्य जानवर संक्रमण की चपेट में न आएं. पशुपालन विभाग ने इसके लिए कोटमा और फाटा में विशेष क्वारंटीन सेंटर स्थापित किए हैं।
यह पहली बार है जब यात्रा मार्ग पर बीमार जानवरों के लिए अलग से क्वारंटीन की व्यवस्था की गई है।
पशुपालन विभाग देहरादून के अपर निदेशक डॉ. भूपेंद्र जंगपांगी के अनुसार, कोटमा और फाटा में 30-30 जानवरों की क्षमता वाले सेंटर बनाए गए हैं। इन केंद्रों में बीमार घोड़ा-खच्चरों का इलाज विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों की देखरेख में किया जाएगा।
विभाग ने प्रत्येक स्थान के लिए सात-सदस्यीय विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम तैनात कर दी है। यदि जरूरत पड़ी तो अन्य स्थानों पर किराए पर भी अस्थायी केंद्र बनाए जाएंगे।
हॉर्ष फ्लू मिलने के कारण लिया गया ये निर्णय : इस निर्णय के पीछे हाल ही की वह घटनाएं हैं जब जिले के बीरों, बष्टी, जलई, मनसूना और गौंडार गांवों में कई घोड़ा-खच्चर हॉर्ष फ्लू (इक्वाइन इन्फ्लूएंजा) से संक्रमित पाए गए थे।
गौंडार गांव में इस बीमारी के चलते तीन खच्चरों की मौत भी हो चुकी है। इसके बाद ऐहतियातन प्रशासन ने घोड़ा-खच्चरों का पंजीकरण स्थगित कर दिया था।
अब जब संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में है, तो फिर से पंजीकरण शिविर शुरू किए गए हैं। शिविरों में आने वाले प्रत्येक जानवर का खून लेकर हॉर्ष फ्लू और ग्लैंडर्स बीमारी की जांच की जा रही है। केवल जांच में पूरी तरह निगेटिव पाए गए जानवरों को ही यात्रा के लिए पंजीकृत किया जा रहा है।
प्रशासन की ये पहल सभी के लिए महत्वपूर्ण : प्रशासन की इस पहल को यात्रियों की सुरक्षा के साथ-साथ जानवरों के स्वास्थ्य के लिहाज से भी एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
केदारनाथ यात्रा में घोड़ा-खच्चरों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, और उनके स्वास्थ्य की अनदेखी न केवल अन्य जानवरों बल्कि यात्रियों के लिए भी खतरा बन सकती है।