अजमेर , 19 अप्रैल 2025 :
Ajmer Sharif Dargah Case Update: राजस्थान में अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह विवाद से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. इस मामले में हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है. अजमेर की दरगाह को भगवान शिव का मंदिर बताए जाने के दावे को लेकर दाखिल किए गए मुकदमे में आज (19 अप्रैल) को सुनवाई हुई. केंद्र सरकार की तरफ से आज की सुनवाई में हलफनामा दाखिल किया गया.
केंद्र सरकार ने हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के मुकदमे को खारिज किए जाने की सिफारिश की. केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ से मुकदमे की पोषणीयता पर सवाल उठाए गए और कहा गया कि हिंदू सेना का मुकदमा सुने जाने योग्य नहीं है. इस मुकदमे को खारिज कर दिया जाना चाहिए.
31 मई को होगी अगली सुनवाई
केंद्र सरकार की इस सिफारिश से हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है. अल्पसंख्यक मंत्रालय की सिफारिश की वजह से अदालत ने आज की सुनवाई स्थगित कर दी. अजमेर की जिला अदालत इस मामले में अब 31 मई को सुनवाई करेगी. मंत्रालय के जवाब में कहा गया कि हिंदू सेना के मुकदमे में कोई आवश्यक स्थिति होने का आधार नहीं दिया गया है.
इसके साथ ही भारत संघ को भी पक्षकार नहीं बनाया गया है. अंग्रेजी में दाखिल किए गए मुकदमे का हिंदी अनुवाद भी ठीक से नहीं किया गया है. अंग्रेजी में दाखिल मुकदमे और उसके अनुवाद में फर्क है. 27 नवंबर 2024 को हुई सुनवाई में पारित आदेश में विपक्षी पार्टियों को सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया है. ऐसे में इस मुकदमे को खारिज कर उसे वापस लौटा देना चाहिए.
हिंदू सेना के अध्यक्ष ने क्या कहा?
इस मामले में 31 मई को होने वाली अगली सुनवाई में हिंदू सेना को केंद्र सरकार की सिफारिश पर अपना जवाब दाखिल करना होगा. हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता का कहना है कि इस मामले में कानूनी राय लेकर उचित जवाब दाखिल किया जाएगा. केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने तकनीकी आधार पर मुकदमे को खारिज किए जाने की सिफारिश की है. अगर कोई तकनीकी कमी है तो उसे सुधार कर लिया जाएगा.
मुस्लिम पक्ष ने जताई संतुष्टि
केंद्र सरकार के इस फैसले पर मुस्लिम पक्ष ने संतुष्टि जताई है. खादिमों की अंजुमनों के अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह ने कहा है कि इस मामले में हम लोग यानी मुस्लिम पक्ष शुरू से ही मुकदमे की पोषणीयता पर सवाल उठा रहे थे और उसे खारिज करने की अपील कर रहे थे. केंद्र सरकार सिफारिश के बाद यह साफ हो गया है कि मुकदमा सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए दाखिल किया गया था.
इसका कोई आधार नहीं था. इसके जरिए आपसी सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई थी. मुस्लिम पक्ष ने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया है और मुकदमे को खारिज किए जाने की मांग को दोहराया है.