सीजी भास्कर, 26 मई। Latehar Naxal Encounter Jharkhand: झारखंड के लातेहार इलाके में नक्सलियों के खिलाफ जारी अभियान के दौरान सोमवार तड़के लोकल पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली। दरअसल, 26 मई को लातेहार के महुआडांड़ मुठभेड़ में पांच लाख का इनामी बदमाश कमांडर मनीष यादव को सुरक्षबलों ने ढेर कर दिया। लातेहार पुलिस और सुरक्षा बलों ने 10 लाख के इनामी नक्सली को भी गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है।
इसी के साथ बिहार में माओवादियों का ट्रेनिंग सेंटर बूढ़ा पहाड़ का किला भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। मनीष यादव बिहार के गया के छकरबंधा का रहने वाला था।
बूढ़ा पहाड़ में बिहार का अंतिम टॉप कमांडर था मनीष यादव
मनीष यादव बिहार के इलाके का अंतिम टॉप कमांडर था। मनीष यादव बूढ़ा पहाड़ में पिछले एक दशक से सक्रिय था। माओवादियों के दस्ते में मनीष यादव साधारण कैडर से जुड़ा था, लेकिन धीरे-धीरे वह माओवादियों का सब जोनल कमांडर बन गया। जिस इलाके में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई, उसी इलाके में मनीष का ससुराल भी है।
50 से अधिक नक्सल हमले का आरोपी है मनीष यादव
मनीष यादव झारखंड के लातेहार, पलामू, गढ़वा, चतरा सहित बिहार के गया और औरंगाबाद में 50 से अधिक नक्सल हमले का आरोपी है। मुख्य रूप से बिहार के इलाके में मनीष यादव सक्रिय था। बाद में वह बूढ़ा पहाड़ के इलाके में माओवादियों के दस्ते का सदस्य बन गया था।
चर्चित कटिया मुठभेड़, जिसमें सीआरपीएफ जवान के पेट में बम प्लांट किया गया था और 13 जवान शहीद हुए थे. इस घटना का मनीष यादव आरोपी रहा है। साल 2018-19 में गढ़वा के पोलपोल नक्सल हमला हुआ था. इस हमले में छह जवान शहीद हुए थे. इस घटना का भी मुख्य आरोपी मनीष यादव रहा है।
1 करोड़ इनामी देव कुमार का बॉडीगार्ड था मनीष यादव
मुठभेड़ में मार गया इनामी नक्सली मनीष यादव कभी एक करोड़ के इनामी देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद का बॉडीगार्ड हुआ करता था।
अरविंद के साथ एके-47 लिए हुए मनीष यादव का तस्वीर भी वायरल हुआ था। साल 2018 में बूढ़ा पहाड़ इलाके में बीमारी से अरविंद की मौत हो गई थी।
अरविंद की मौत के बाद मनीष यादव बूढ़ा पहाड़ इलाके में बना रहा और बाद में वह सब जोनल कमांडर बन गया। मनीष यादव बूढापहाड़ से लेकर बिहार के छकरबंधा कॉरिडोर का सबसे बड़ा कुरियर था।
तीन दशक से बूढ़ा पहाड़ पर बिहारी लीडरशिप का था कब्जा
झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद बूढ़ा पहाड़ का इलाका माओवादियों का ट्रेनिंग सेंटर रहा है। बूढ़ा पहाड़ में तीन दशक तक बिहार की लीडरशिप हावी रही है।
साल 2018 तक बिहार के जहानाबाद के रहने वाले देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद बूढ़ा पहाड़ का इंचार्ज हुआ करता था। अरविंद की मौत के बाद आंध्र प्रदेश के रहने वाले सुधाकरण इसका कमांडर बना था। सुधाकरण के बाद बिहार के रहने वाले मिथिलेश मेहता, विमल यादव, नवीन यादव और सौरव उर्फ मारकस बाबा बूढ़ा पहाड़ का इंचार्ज बना था।