सीजी भास्कर 18 जून केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से बुधवार को अभिनेता जॉन अब्राहम और नॉर्थईस्ट यूनाइटेड फुटबॉल क्लब (एनयूएफसी) के सीईओ मंदर ताम्हाणे ने मुलाकात की. इस मुलाकात को लेकर केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर एक तस्वीर साझा की और जॉन अब्राहम के खेलों के प्रति समर्पण की प्रशंसा की.
सिंधिया ने अपने पोस्ट में लिखा, “ऐसे व्यक्ति से मिलना हमेशा खुशी देता है जो खेलों के प्रति गहरा जुनून रखता हो और युवा प्रतिभाओं को तलाशने, उन्हें आकार देने और समर्थन देने की इच्छा रखता हो, खासकर पूर्वोत्तर भारत में, जो तेजी से भारत की खेल महाशक्ति बन रहा है.उन्होंने लिखा कि जॉन का फुटबॉल के प्रति उत्साह और उनके सपने कि हमारी धरती से एक दिन मेस्सी या रोनाल्डो जैसा खिलाड़ी निकले वास्तव में प्रेरणादायक है. उन्हें और उनकी टीम को भारतीय फुटबॉल को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए शुभकामनाएं.”सिंधिया से जॉन अब्राहम ने की मुलाकातनॉर्थईस्ट यूनाइटेड एफसी, गुवाहाटी (असम) स्थित एक पेशेवर फुटबॉल क्लब है जो इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में हिस्सा लेता है, क्लब की स्थापना 13 अप्रैल 2014 को की गई थी और यह पूर्वोत्तर भारत के आठ राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा और सिक्किम का प्रतिनिधित्व करता है। यह देश का एकमात्र क्लब है जो इतने बड़े भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है.
क्लब के मालिक जॉन अब्राहम ने 2013 में क्लब को व्यक्तिगत रूप से खरीदा था. उनके लिए यह सिर्फ एक व्यावसायिक उद्यम नहीं बल्कि जुनून का विषय रहा है. उन्होंने हाल एक इंटरव्यू में बताया था कि एनयूएफसी में निवेश कर वे हर साल आर्थिक नुकसान झेलते हैं, क्योंकि बाकी फ्रेंचाइजी बड़े कॉरपोरेट समूहों के स्वामित्व में हैं. उन्होंने कहा था, मैं व्यक्तिगत रूप से मालिक हूं. जब मेरी टीम हारती है, तो मैं रोता हूं लेकिन मैं उनसे प्यार करता हूं.नॉर्थईस्ट यूनाइटेड एफसी ने जीता डूरंड कपहाल ही में, नॉर्थईस्ट यूनाइटेड एफसी ने 2024 के डूरंड कप के फाइनल में प्रतिष्ठित क्लब मोहन बागान को 4-3 से हराकर अपनी पहली बड़ी ट्रॉफी जीती.
यह जीत क्लब, खिलाड़ियों, कोच और सपोर्ट स्टाफ के वर्षों के संघर्ष और मेहनत की परिणति रही. जॉन अब्राहम ने इस जीत को कभी हार न मानने की भावना का प्रतीक बताया.उन्होंने कहा, डूरंड कप जीतने की भावना अभी भी मेरे अंदर नहीं समाई है. यह सबक है कि टीम को केवल जीतते समय नहीं, हार के समय भी थामे रखना चाहिए. सुरंग के अंत में रोशनी होती है और हमने यह साबित कर दिया है.क्लब की इस सफलता ने न केवल जॉन अब्राहम के सपनों को पंख दिए हैं, बल्कि पूर्वोत्तर भारत में फुटबॉल के बढ़ते प्रभाव और संभावनाओं को भी रेखांकित किया है.