सीजी भास्कर 19 जून बिहार में मखाना का कारोबार तेजी से बढ़ता जा रहा है. राज्य सरकार की नीतियां भी मखाने की खेती और उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही हैं. एक जानकारी के मुताबिक पिछले 10 सालों में मखाना की खेती का रकबा दो गुणा बढ़ गया है. खास बात ये कि बिहार के कृषि विभाग और कॉम्फेड के प्रयासों से बीते दिनों सुधा ने मखाना को अमेरिका में भी निर्यात किया है.बिहार सरकार के रिकॉर्ड के मुताबिक साल 2012 तक राज्य में मखाना की खेती करीब 13 हजार हेक्टेयर में होती थी.
मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत मखाना का क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम प्रारंभ किया गया. जिससे मखाना की खेती का रकबा बढ़कर 35 हजार 224 हेक्टेयर हो गया. मखाना विकास योजना के तहत मखाना की उच्च प्रजाति के बीज के उपयोग से उत्पादकता में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई.आपको बता दें कि साल 2019-20 में मखाना विकास योजना प्रारंभ की गई. जिसमें मखाना अनुसंधान केन्द्र, दरभंगा के विकसित स्वर्ण वैदेही और भोला पासवान शास्त्री, कृषि महाविद्यालय का विकसित सबौर मखाना-1 प्रभेद को प्रत्यक्षण के माध्यम से बढ़ावा दिया गया.10 जिलों में होता है मखानाराज्य के 10 जिलों दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णियाँ, किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, और खगड़िया में मुख्य रूप से मखाना का उत्पादन होता है.
मखाना के वैश्विक विस्तार से बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए अब इसका उत्पादन 16 जिलों में विस्तारित किया गया है. देश में कुल उत्पादित मखाना का लगभग 85 प्रतिशत बिहार में होता है.राजस्व में हुई 4.57 गुणा की बढ़ोतरी2005 के पूर्व जहां मत्स्य/मखाना जलकरों से राजस्व प्राप्ति 3.83 करोड़ रुपये थी. वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 17.52 करोड़ रुपये हो गई है. राजस्व प्राप्ति में 4.57 गुना की बढ़ोत्तरी हो चुकी है. मखाना के वैश्विक स्तर पर बढ़ती मांग को देखते हुए इसके निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए अब मखाना बोर्ड का गठन किया जा रहा है. यह बोर्ड मखाना के समेकित विकास जैसे क्षेत्र विस्तार, यांत्रिकरण, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात को समृद्ध करेगा.