सीजी भास्कर, 25 जून। 18 वीं लोकसभा के संसद सत्र का आज दूसरा दिन था जिसमें राहुल गांधी, अखिलेश यादव समेत कई नेताओं ने सांसद पद की शपथ ली। 18वीं लोकसभा के लिए ज्यादातर सांसदों ने शपथ ले ली है। अब कल बुधवार से लोकसभा की औपचारिक कार्यवाही शुरू होगी।
कल लोकसभा स्पीकर भी चुना जाएगा ताकि सदन सुचारू रूप से चल सके। बीजेपी और एनडीए की ओर से इस बार भी ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया है। पिछली बार सर्वसम्मति से वो स्पीकर चुने गए थे लेकिन इस बार इंडिया गठबंधन ने भी स्पीकर पद के लिए केरल की मावेलीकरा सीट से आठ बार सांसद रहे के सुरेश को चुनाव मैदान में उतारा है।आपको बता दें कि आमतौर पर लोकसभा स्पीकर को बिना चुनाव के लिए ही चुन लिया जाता है लेकिन इस बार सरकार और विपक्ष में सहमति नहीं होने से स्पीकर का चुनाव होना तय है लेकिन ऐसा पहली बार नहीं होगा जब लोकसभा स्पीकर का चुनाव हो रहा है। पहले भी दो बार लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो चुका है। 1952 में देश के पहले आम चुनाव के बाद संसद में लोकसभा स्पीकर पर सहमति नहीं बन पाई और चुनाव हुआ। पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के पूर्व सदस्य जीवी मावलंकर को अध्यक्ष चुनने का प्रस्ताव रखा। मालवीय का समर्थन तत्कालीन संसदीय कार्यमंत्री सत्य नारायण सिन्हा, दरभंगा मध्य सांसद एसएन दास और गुड़गांव सांसद पंडित ठाकुर दास भार्गव ने किया लेकिन कम्युनिस्ट आंदोलन के संस्थापक और 16 अन्य विपक्षी सांसदों में से एक, कन्नूर के सांसद एके गोपालन ने शांताराम मोरे के पक्ष में प्रस्ताव रखा। मोरे भारतीय किसान और मजदूर पार्टी के संस्थापक थे। विपक्ष के सांसदों ने उनका समर्थन किया। 1952 में सदन में स्पीकर का चुनाव हुआ। मावलंकर को 394 वोटों के साथ स्पीकर के रूप में चुना गया जबकि 55 सांसदों ने उनके नामांकन का विरोध किया। संयोग से इस बार भी विपक्ष के स्पीकर पद के उम्मीदवार के सुरेश भी केरल की मावेलीकारा से सांसद हैं। इसके आलावा ये भी इत्तेफाक है कि इस वक्त स्पीकर का चुनाव इसी मुद्दे को लेकर था कि क्या सरकार विपक्ष को उपाध्यक्ष पद देगी या नहीं? यानि 1952 में कांग्रेस ने विपक्ष को डिप्टी स्पीकर का पद नहीं दिया और आज वही पार्टी लोकतंत्र की दुहाई देकर सरकार से उपाध्यक्ष पद मांग रही है। दूसरी बार लोकसभा स्पीकर का चुनाव 1976 में हुआ। दरअसल 1975 में इमरजेंसी के ऐलान के बाद 5वीं लोकसभा का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था। इसके बाद 1976 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कांग्रेस सांसद बी आर भगत को स्पीकर के रूप में चुनने का प्रस्ताव रखा। संसदीय कार्य मंत्री रघु रमैया द्वारा इसका समर्थन किया गया। वहीं भाव नगर के सांसद पीएम मेहता ने जगन्नाथ राव जोशी के नाम का प्रस्ताव रखा। जनसंघ के जोशी का समर्थन हाजीपुर के सांसद डी एन सिंह (कांग्रेस ओ) ने किया। भगत को बाद में स्पीकर चुन लिया गया। उनके पक्ष में 344 वोट आए और 58 वोट उनके खिलाफ गए। अब 2024 में कल जब स्पीकर के लिए वोटिंग होगी तो 7 सांसद मतदान नहीं कर सकेंगे।
आपको बता दें कि जिन 7 सांसदों ने अभी तक शपथ नहीं ली है, उसमें टीएमसी नेता शत्रुघ्न सिन्हा, नुरुल इस्लाम और दीपक अधिकारी शामिल हैं जबकि कांग्रेस पार्टी के शशि थरूर, बारामूला संसदीय सीट से इंडिपेंडेंट कैंडिडेट राशिद इंजीनियर ने भी शपथ नहीं ली है। खडूर साहिब लोकसभा सीट से इंडिपेंडेंट केंडिडेट अमृतपाल सिंह और सपा उम्मीदवार अफ़जल अंसारी भी वोट नहीं कर सकेंगे क्योंकि शपथ नहीं ले पाने वालों में इंडिपेंडेंट कैंडिडेट अमृतपाल सिंह असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं वहीं राशिद इंजीनियर भी जेल में बंद हैं। अब जिन सांसदों ने जिन 7 सांसदों ने लोकसभा में संसद सदस्य की शपथ नहीं ली हैं, कल उन्हें स्पीकर चुनाव के बाद शपथ दिलाई जाएगी।