सीजी भास्कर 23 जून महाराष्ट्र सरकार ने एक जीआर (सरकारी संकल्प) जारी कर राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों से जुड़े आपराधिक मामलों को वापस लेने का फैसला किया है। हालांकि, सिर्फ वही मुकदमे वापस लिए जाएंगे, जिनमें 31 मार्च 2025 से पहले चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी। राजनेताओं और आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज होने वाले अधिकतर मामले नई सरकार बनने के बाद वापस ले लिए जाते हैं। ये सभी मामले आंदोलन और विरोध प्रदर्शन के दौरान दर्ज किए जाते हैं।
हालांकि, गंभीर अपराध से जुड़े मामले सरकार नहीं माफ करती है और इन मामलों में दोषी नेता को सजा भुगतनी पड़ती है।महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में पहले आदेश जारी करते हुए कहा था कि 31 अगस्त 2024 तक जिन मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है, उन मामलों को वापस ले लिया जाएगा। हालांकि, बाद में सरकार ने तय किया कि इस समयसीमा को बढ़ाया जाएगा। अब इसे बढ़ाकर 31 मार्च 2025 कर दिया गया है।राज्य के गृह विभाग ने एक आदेश में कहा था कि ऐसे सभी मामले जिनमें 31 अगस्त 2024 तक आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया था, वापस ले लिए जाएंगे। अधिकारी ने बताया कि हालांकि कुछ मामले ऐसे भी थे जिनमें आरोप पत्र इस तिथि के बाद दाखिल किया गया।
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को जारी ‘सरकारी प्रस्ताव’ या आदेश के अनुसार, आम जनता के हित में आंदोलन करने वाले राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामले, जिनमें इस वर्ष 31 मार्च तक आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया था, वापस ले लिए जाएंगे।महाराष्ट्र सरकार का एक और जीआर चर्चा मेंमहाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक जीआर जारी कर कहा था कि पहली से पांचवीं तक के स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाना जरूरी होगा।
हालांकि, इस आदेश का जमकर विरोध हुआ। इसके बाद इसमें बदलाव कर तीसरी भाषा के रूप में किसी भी भारतीय भाषा को पढ़ाने की अनुमति दी गई। यहां पहली भाषा के रूप में मराठी और दूसरी भाषा के रूप में अंग्रेजी पढ़ाना हर स्कूल के लिए जरूरी है। तीसरी भाषा के रूप में हिंदी या कोई अन्य भारतीय भाषा पढ़ाई जा सकती है।