बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग के लिए बड़ी राहत की खबर है। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्राचार्य पदोन्नति को हरी झंडी देते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। यह फैसला जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र कुमार प्रसाद की बेंच ने सुनाया है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा तय किए गए मापदंडों को उचित और वैध माना गया है।
क्या है मामला?
छत्तीसगढ़ में 2925 व्याख्याताओं को प्राचार्य पद पर पदोन्नति देने का आदेश 30 अप्रैल 2025 को जारी किया गया था। इनमें से ई संवर्ग के 1524 और टी संवर्ग के 1401 शिक्षक शामिल थे। हालांकि, इससे पहले कोर्ट को 28 मार्च को आश्वस्त किया गया था कि अगली सुनवाई तक कोई प्रमोशन आदेश जारी नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद सूची जारी हुई, जिससे विवाद गहरा गया।
कोर्ट की टिप्पणी और निर्देश:
- कोर्ट ने प्रमोशन को लेकर ज्वाइनिंग पर नाराजगी जताई, क्योंकि 7 मई तक रोक के बावजूद कई जिलों में शिक्षकों को ज्वाइनिंग दे दी गई थी।
- कोर्ट ने शासन से इस पर स्पष्टीकरण और रिपोर्ट तलब की थी।
- अंततः कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज करते हुए नियम 15 में संशोधन का निर्देश भी जारी किया।
अब आगे क्या?
अब राज्य सरकार नए शिक्षा सत्र की शुरुआत के साथ ही प्राचार्य पदों पर लंबित नियुक्तियों की प्रक्रिया पूरी कर सकेगी। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा ने शिक्षा सचिव और लोक शिक्षण संचालक से मुलाकात कर पदोन्नति प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग की है।
स्कूलों को मिलेगा स्थायित्व
राज्य के कई स्कूलों में प्राचार्य पद लंबे समय से रिक्त हैं, जिससे शैक्षणिक गतिविधियों में बाधा आ रही है। हाई कोर्ट के इस निर्णय से अब शिक्षा व्यवस्था को नया स्थायित्व और गति मिलने की संभावना है।