भोपाल में इंजीनियर पुल की डिजाइन को लेकर नए-नए एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं. कुछ सप्ताह पहले ऐशबाग पुल पर 90 डिग्री के तीखे मोड़ को लेकर बवाल मच गया था. अब इसके बाद सुभाष नगर में एक ऐसा पुल सामने आया, जिसकी संरचना सांप जैसी है. ब्रिज एक्सपर्ट ने बताया कि पुलों की इस तरह की संरचना हादसे का प्रमुख कारण बनती हैं.
सुभाष नगर रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) पर सिर्फ आठ घंटे के भीतर दो दुर्घटनाएं सामने आई. जिसके बाद इस पुल की डिजाइन और सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं.
40 करोड़ की लागत से बना यह पुल
इस पुल को बनाने में 40 करोड़ रुपये की लागत आई थी. यह पुल भोपाल रेलवे स्टेशन जाने वाले यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में देखा गया था. दो साल चालू रहने वाला यह पुल मैदा मिल और प्रभात पेट्रोल पंप के बीच भी एक महत्वपूर्ण कड़ी थी. लेकिन हाल ही में हो रही घटनाओं को देखते हुए इसकी डिजाइन की कमियों को उजागर किया गया है और यातायात की भीड़ को भी कम किया गया है.
तीखे मोड़ की वजह से हुई दुर्घटना
सांप जैसी संरचना वाले पुल पर पिछले आठ दिनों में दो भयावह दुर्घटना देखने को मिली. दोनों ही दुर्घटनाओं में वाहन पुल के तीखे मोड़ों पर अपना नियंत्रण खो बैठे और यह हादसा हो गया. एक मामले में, एक कार सड़क के डिवाइडर से टकराकर हवा में पलट गई. वहीं दूसरे मामले में, उसी डिवाइडर से टकराने के कारण एक स्कूल वैन क्षतिग्रस्त हो गई. हालांकि इन दुर्घटनाओं में किसी की जान नहीं गई है. लेकिन इससे पहले कोई इस पुल की वजह से कोई गंभीर दुर्घटना हो, सरकार को सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है.
इस पुल की खामियां
इस पुल की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसकी संरचना सांप की तरह टेड़ी-मेड़ी है. इस संरचना की वजह से ड्राइवर को कुछ ही सेकेंड में चार तीखे मोड़ों से होकर गुजरना पड़ता है और वाहन को मुड़ने के लिए इस पुल पर पर्याप्त जगह भी नहीं है. गलत तरीके से बनाए गए डिवाइडर भी इस पुल पर होने वाली दुर्घटनाओं की प्रमुख वजह है. खासकर रात में यात्रा करने वाले ड्राइवरों के लिए. इस डिवाइडर की ऊंचाई भी कम है, जिसे कम रोशनी में पहुंचना मुश्किल होता है. इस पुल पर ट्रैफिक की समस्या भी एक गंभीर चिंता है.
ब्रिज एक्सपर्ट ने जाहिर की चिंता
ब्रिज एक्सपर्ट ने पुल की इस तरह की डिजाइन को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की. एक्सपर्ट का कहना है कि सांप की संरचना के आधार पर बने पुल स्वाभाविक रूप से जोखिम भरे होते हैं. उन्होंने कहा कि जब तक जगह की कमी के कारण कोई विकल्प न हो, तब तक पुल को बनाने के लिए इस तरह के आकार से बचना चाहिए.