महाराष्ट्र सरकार ने फसल बीमा के तहत होने वाली धोखाधड़ी से बचने के लिए एक अहम फैसला लिया है. सरकार उन सभी किसानों को काली सूची में डालने जा रही है, जो फसल बीमा के लिए फर्जी दावे प्रस्तुत करते हैं. राज्य कृषि विभाग के एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि यह कार्रवाई पहले केवल बिचौलियों और सेवा प्रदाताओं तक ही सीमित होती थी, लेकिन अब इसके दायरे में फसल बीमा को लेकर फर्जी दावे प्रस्तुत करने वाले किसान भी आ गए हैं.
अधिकारी ने कहा कि फसल बीमा कार्यक्रम के तहत कई फर्जी आवेदन दिए जा रहे थे, जिसको मद्देनजर रखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने यह फैसला लिया. उन्होंने बताया कि साल 2024 में 4000 से अधिक फर्जी फसल बीमा आवेदन दाखिल किए गए थे.
फर्जी दावों से बचने का उपाय
अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने अब बिचौलिए और सेवा प्रदाताओं के अलावा उन किसानों को भी काली सूची में डालने का फैसला किया है, जो फसल बीमा का अनुचित लाभ पाने के लिए फर्जी दावे प्रस्तुत करते पाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि यह किसानों को इस तरह की गलत हरकतों से बचाने के लिए एक निवारक उपाय है. उन्होंने कहा कि सरकार की नीति के अनुसार, किसान अधिक या कम बारिश, कीटों के संक्रमण या प्राकृतिक घटनाओं के कारण बुवाई में चुनौतियों जैसे कारणों से हुए नुकसान के लिए बीमा दावा दायर कर सकते हैं. अधिकारी ने बताया कि एक बार काली सूची में डाले जाने के बाद किसान कम से कम कुछ वर्षों तक फसल बीमा के लिए दावा दायर नहीं कर पाएंगे.
कई सीएसी के खिलाफ की कार्रवाई
सरकार का कहना है कि साल 2024 में खरीफ सीजन के लिए लगभग 4000 से अधिक फर्जी फसल बीमा आवेदन दाखिल किए गए हैं. जिसके बाद सरकार ने राज्य भर के कई कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है. अधिकारी ने बताया कि बीड, नांदेड़, परभणी, पुणे, लातूर और जालना जैसे जिलों में कई एफआईआर दर्ज की गई हैं. उन्होंने कहा कि पहले, बिचौलियों और सीएससी संचालकों पर ध्यान केंद्रित किया जाता था, लेकिन अब उन किसानों को भी ब्लैकलिस्टिंग किया जाएगा जो फसल बीमा के लिए झूठे दावे करते हैं.
किसान स्वयं करे प्रीमियम का भुगतान
राज्य कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि पहले सरकार ‘एक रुपया’ योजना चलाती थी. इस योजना के तहत राज्य और केंद्र सरकार प्रीमियम की करीब पूरी लागत उठाती थीं. उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत सरकार ने कुल 9,600 करोड़ रुपये का प्रीमियम भुगतान किया था. लेकिन इस साल से, किसानों को अपने प्रीमियम का भुगतान स्वयं करना होगा. यह बदलाव योजना में भाग लेने वालों की संख्या में कमी ला सकता हैं. हालांकि, सरकार ने कहा है कि वह शोषण के खिलाफ सुरक्षा उपाय करते हुए असली दावेदारों की रक्षा करने के लिए और उचित मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन साथ में यह भी ध्यान रखा जाएगा कि कोई इसका गलत फायदा न उठाए.