कोंडागांव, छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों और अन्य बाहरी मजदूरों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई तेज हो गई है। हाल ही में कोंडागांव जिले के आमाबेड़ा पारा क्षेत्र में 12 मजदूरों को BNS धारा 128 के तहत गिरफ्तार किया गया है, जिसके बाद इस कार्रवाई पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।
राज्य में विशेष टास्क फोर्स की तैनाती
राज्य सरकार ने बांग्लादेशी घुसपैठ पर नकेल कसने के लिए हर जिले में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) का गठन किया है। इस अभियान के तहत वैध दस्तावेजों की जांच, स्थानीय पहचान और रहवास अनुमति को लेकर सघन तलाशी की जा रही है।
बिना दस्तावेज मजदूरी कर रहे थे 12 लोग
कोंडागांव पुलिस के अनुसार, पकड़े गए 12 मजदूरों में से अधिकतर पश्चिम बंगाल के नदिया जिले से आए हुए हैं। ये लोग एक निजी स्कूल के निर्माण कार्य में लगे थे, लेकिन जांच के दौरान इन मजदूरों के पास कोई वैध दस्तावेज नहीं पाए गए। पुलिस ने बताया कि ठेकेदार से भी कागजात मांगे गए, मगर कुछ भी उपलब्ध नहीं कराया गया।
महुआ मोइत्रा ने बताया ‘अवैध गिरफ्तारी’
इस मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो बयान जारी कर छत्तीसगढ़ पुलिस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि,
“ये मजदूर वैध दस्तावेज जैसे आधार कार्ड लेकर काम कर रहे थे। इसके बावजूद उन्हें BNS 128 के तहत गिरफ्तार कर जगदलपुर केंद्रीय जेल भेजा गया है, जो पूरी तरह से अन्याय है।”
अब तक 150 से ज्यादा हिरासत में
कोंडागांव पुलिस ने जानकारी दी है कि 30 जून से अब तक 150 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इनमें से करीब 70 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। पुलिस का दावा है कि अधिकतर लोग बिना वैध दस्तावेज के रह रहे थे और इनमें कुछ बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल हैं जो फेरी और निर्माण मजदूरी का कार्य कर रहे थे।
पुलिस का पक्ष – वैध कागजात होते तो गिरफ्तारी नहीं होती
एडिशनल एसपी कौशलेंद्र देव पटेल ने बताया कि 12 जुलाई को हुए छापे में 12 में से 9 मजदूरों को जेल भेजा गया है, क्योंकि ना तो उनके पास और ना ही उनके ठेकेदारों के पास कोई पहचान पत्र या वैध निवास प्रमाण था।