सीजी भास्कर, 17 जुलाई |
रायपुर।
सड़क हादसों का एक बड़ा कारण बन चुके आवारा मवेशियों को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सख्त सवाल किया है। हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पूछा है – “आखिर इन घटनाओं पर रोक लगाने का क्या समाधान है?”
14 जुलाई की रात रायगढ़ जिले के ग्राम बारीडीह के पास तेज रफ्तार वाहन ने सड़क पर बैठे 13 गौवंश को कुचल दिया। इस दर्दनाक हादसे में सभी गोवंश की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पांच घायल हैं। यह घटना कोई पहली नहीं है – पिछले 5 वर्षों में ऐसे 166 हादसे हो चुके हैं जिनमें 43 लोगों की मौत और 68 घायल हुए हैं।
हाईकोर्ट का हस्तक्षेप
इस घटना पर 15 जुलाई को हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया। अदालत ने महाधिवक्ता से सीधा सवाल किया कि – “राज्य सरकार की कार्ययोजना क्या है?” जवाब के लिए समय मांगा गया और अब अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।
10 साल पुराना मामला, पर हालात अब भी बदतर
सड़क पर मवेशियों की मौजूदगी को लेकर हाईकोर्ट ने 9 सितंबर 2015 को ही राज्य प्रशासन को चेतावनी दी थी और अफसरों से कहा था कि “एसी कमरों से निकलकर ज़मीन पर जाकर हालात देखें।” लेकिन एक दशक बीतने के बाद भी हालात में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखा।
हादसों के आंकड़े
- पिछले 5 वर्षों में:
- 166 हादसे सिर्फ मवेशियों के कारण
- 43 मौतें, 68 घायल
- दर्जनों मवेशियों की घटनास्थल पर मौत
प्रशासन का दावा और कार्रवाई
हादसे के बाद प्रशासन ने दावा किया है कि जिले में सभी संबंधित अमले को निर्देशित किया गया है। मवेशियों के गले में रेडियम बेल्ट पहनाने की योजना बनाई गई है ताकि रात में वाहन चालकों को वे दिख सकें। जनपद से लेकर ग्राम पंचायत स्तर तक टीमें बनाई गई हैं, जो हर रात 7 बजे से 12 बजे तक सड़क पर से मवेशी हटाने का अभियान चलाएंगी।