देहरादून/टोक्यो – जब दुनिया मुनाफे के पीछे भाग रही है, तब एक जापानी कारोबारी ने अपनी करोड़ों की कंपनी को अलविदा कहकर भगवान शिव की भक्ति में खुद को समर्पित कर दिया है। टोक्यो के 41 वर्षीय होशी ताकायुकी, जो कभी ब्यूटी प्रोडक्ट्स की चेन चलाते थे, अब भगवा वस्त्र पहनकर कांवड़ यात्रा में भाग ले रहे हैं और शिवभक्तों को सेवा भाव से खाना खिला रहे हैं।
कौन हैं होशी ताकायुकी – अब ‘बाला कुंभ गुरुमुनि’
टोक्यो में 15 ब्यूटी स्टोर्स के मालिक रहे होशी ताकायुकी अब दुनिया उन्हें “बाला कुंभ गुरुमुनि” के नाम से जान रही है। उन्होंने जापान में अपने सभी व्यवसाय अपने अनुयायियों को सौंप दिए हैं और अब खुद को पूरी तरह अध्यात्म और शिव सेवा में लगा दिया है।
इस साल सावन के दौरान, उन्होंने 20 जापानी भक्तों के साथ उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा की। गंगा जल सिर पर उठाए, नंगे पांव चलते हुए उन्होंने देहरादून में दो दिवसीय भंडारे का आयोजन भी किया, जहां हजारों कांवड़ियों को भोजन कराया गया।
कैसे शुरू हुई ये आध्यात्मिक यात्रा?
ताकायुकी की यह यात्रा शुरू हुई थी आज से 20 साल पहले भारत के तमिलनाडु से, जब वह नाड़ी ज्योतिष के संपर्क में आए। वहां उन्हें ताड़ पत्रों से पता चला कि उनका पिछला जन्म उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र में बीता था और इस जीवन में भी उनका उद्देश्य अध्यात्म है।
इस रहस्योद्घाटन के कुछ समय बाद उन्होंने एक सपना देखा—जिसमें वह खुद को उत्तराखंड के एक पहाड़ी गांव में देख रहे थे। यह सपना उनके जीवन की दिशा बदल गया।
व्यवसाय से संन्यास और नई पहचान
अपना व्यवसाय छोड़ने के बाद उन्होंने अपने टोक्यो स्थित घर को एक पूर्ण शिव मंदिर में बदल दिया। इतना ही नहीं, जापान में एक और शिव मंदिर भी उन्होंने बनवाया है। अब वह पुडुचेरी में 35 एकड़ ज़मीन पर एक भव्य शिव मंदिर बना रहे हैं और उत्तराखंड में एक आश्रम खोलने की भी तैयारी है।
देवभूमि उत्तराखंड से आत्मीय रिश्ता
ताकायुकी का मानना है कि उनका पिछला जन्म उत्तराखंड में ही बीता था। अब वे वहां अपने “पुराने गांव” की तलाश कर रहे हैं। जापान में रहने वाले उनके भारतीय मित्र रमेश सुंदरियाल के अनुसार, “बाला कुंभ गुरुमुनि भारत में स्थायी रूप से रहकर शिव सेवा का कार्य करना चाहते हैं।”
संक्षेप में:
- नाम: होशी ताकायुकी (अब बाला कुंभ गुरुमुनि)
- उम्र: 41 वर्ष
- पहले: टोक्यो में 15 ब्यूटी स्टोर्स के मालिक
- अब: शिवभक्त, सेवा भाव से कांवड़ियों को भोजन
- कार्य: जापान और भारत में शिव मंदिरों का निर्माण, उत्तराखंड में आश्रम खोलने की योजना