सीजी भास्कर, 27 जुलाई |
दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़) – एक डॉक्टर जो साढ़े चार साल तक बिना सूचना के ड्यूटी से गायब रहे, अब सीधे गीदम ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (BMO) बनाए गए हैं। यह फैसला प्रशासनिक हलकों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक गर्मी पैदा कर रहा है। जहां कांग्रेस ने इसे “भ्रष्टाचार की साजिश” करार दिया है, वहीं भाजपा ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए “राजनीति से दूर चिकित्सा” की बात कही है।
कौन हैं डॉ. देवेंद्र प्रताप और क्यों उठे सवाल?
डॉ. देवेंद्र प्रताप 2021 में COVID-19 अस्पताल के प्रभारी थे। स्थानीय लोगों ने उन पर कोविड मरीज को बाहर निकालने का आरोप लगाया था, जिसके चलते NH-63 पर चक्काजाम तक हो गया था। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर दीपक सोनी के आदेश पर उन्हें पद से हटा दिया गया था।
हटाए जाने के बाद डॉ. प्रताप ने ड्यूटी पर लौटने की बजाय लगातार साढ़े 4 साल तक कोई सूचना दिए बिना अनुपस्थित रहना शुरू कर दिया। इतने लंबे एब्सेंस के बावजूद अब उन्हें सीधे BMO नियुक्त कर दिया गया है।
पांच बार मिले नोटिस, एक भी बार नहीं दिया जवाब
CMHO और सिविल सर्जन ने 2022 से 2024 के बीच 5 बार उन्हें नोटिस थमाया:
- 23 मई 2022
- 6 जून 2022
- 10 मार्च 2023
- 23 सितंबर 2023
- 12 जून 2024
हर बार उनसे पूछा गया कि वे बिना सूचना के ड्यूटी से क्यों नदारद हैं — लेकिन डॉ. देवेंद्र ने कोई जवाब नहीं दिया। यहां तक कि 6 जून 2022 को CMHO ने कार्रवाई की सिफारिश करते हुए स्वास्थ्य संचालनालय को पत्र भी लिखा था।
अचानक मिला जवाब और नियुक्ति का आदेश
23 अप्रैल 2025 को उप-संचालक स्वास्थ्य सेवाएं को भेजे जवाब में, डॉक्टर देवेंद्र ने कहा कि वे पारिवारिक कारणों से 21 अगस्त 2021 से ड्यूटी पर नहीं आ सके। अब स्थिति बेहतर है और वे सेवा में लौटना चाहते हैं।
इसके बाद 4 जुलाई 2025 को CMHO अजय रामटेके ने आदेश जारी किया और उन्हें सीधे गीदम ब्लॉक का BMO नियुक्त कर दिया।
राजनीतिक दबाव और आरोपों की बौछार
सूत्रों का दावा है कि CMHO पर राजनीतिक दबाव डालकर यह नियुक्ति करवाई गई। हालांकि इस पर CMHO की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
कलेक्टर कुणाल दुदावत ने स्पष्ट किया कि यदि कोई शिकायत मिलेगी तो “इस पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी।”
कांग्रेस का आरोप – अस्पताल को बनाया जा रहा कमाई का अड्डा
गीदम की पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष साक्षी रविश सुराना ने भाजपा पर सीधा हमला करते हुए कहा कि:
“जिस डॉक्टर पर गंभीर आरोप हों, उसे कुर्सी पर बैठाना साफ दर्शाता है कि भाजपा सरकारी अस्पतालों को कमाई का जरिया बनाना चाहती है। ये सीधा भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की कोशिश है।”
इस विवाद के 5 मुख्य बिंदु:
जिला प्रशासन ने मामले की जांच की बात कही है।
डॉ. देवेंद्र प्रताप 4.5 साल तक बिना सूचना गायब रहे।
CMHO और सिविल सर्जन ने 5 बार नोटिस भेजे, कोई जवाब नहीं मिला।
राजनीतिक दबाव की आशंका के बीच 4 जुलाई 2025 को BMO बनाए गए।
कांग्रेस ने इसे भ्रष्टाचार की तैयारी बताया है।