सीजी भास्कर, 29 जुलाई |
मानपुर (छत्तीसगढ़) – छत्तीसगढ़ के नए जिले मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी में बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह जोखिम में है। यहां के सरकारी स्कूलों की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि कहीं झोपड़ी में कक्षाएं चल रही हैं, तो कहीं दुर्गा मंच या कचरा संग्रहण केंद्र में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि कई स्कूलों की छतों में दरारें हैं, दीवारें जर्जर हो चुकी हैं, और बरसात में पानी टपकता है। इसके बावजूद, शिक्षा विभाग अब तक मरम्मत के लिए एक भी रुपया जारी नहीं कर पाया है।
14.75 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन अब तक कोई स्वीकृति नहीं
शिक्षा विभाग ने जिले के 38 स्कूलों की मरम्मत के लिए 14 करोड़ 75 लाख रुपए का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है। इसमें 27 प्राथमिक, 5 मिडिल और 6 हाई व हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं। लेकिन अब तक इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली है।
वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर बच्चों को किया जा रहा मजबूर
बढ़ते खतरे को देखते हुए कुछ स्कूलों को वैकल्पिक स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। कहीं दुर्गा पूजा मंच पर कक्षाएं चल रही हैं, तो कहीं स्थानीय सामुदायिक भवन या अस्थाई झोपड़ी में बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि कुछ स्कूल कचरा केंद्रों के पास संचालित हो रहे हैं, जहां गंदगी और बीमारी का खतरा हर पल बना रहता है।
जनप्रतिनिधियों ने उठाई आवाज, फिर भी कार्रवाई ठप
हाल ही में जनपद शिक्षा समिति के सभापति देवानंद कौशिक ने कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को पत्र लिखकर स्कूलों की मरम्मत की मांग की थी। राजस्थान में हाल ही में स्कूल भवन गिरने की घटना का हवाला देते हुए उन्होंने तत्काल कार्रवाई की मांग की। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता और बजट स्वीकृति में देरी के चलते अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है।
बच्चों की जान जोखिम में, पर सरकार की चुप्पी बरकरार
स्थानीय लोगों और शिक्षकों का कहना है कि जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होगा, तब तक सरकार नहीं जागेगी। बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनके जीवन को भी गंभीर खतरा बना हुआ है। राज्य सरकार की लेटलतीफी और फंड रिलीज में देरी की वजह से पूरे क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है।