जोधपुर (राजस्थान):
राजस्थान पुलिस एक बार फिर अपनी लापरवाही को लेकर सवालों के घेरे में है। इस बार मामला बेहद संवेदनशील और धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है। जोधपुर में पुलिस ने एक मुस्लिम युवक के शव को लावारिस मानते हुए हिंदू रीति-रिवाज से उसका दाह संस्कार करवा दिया, जबकि उसे इस्लामी परंपरा अनुसार सुपुर्द-ए-खाक किया जाना था।
पूरा मामला जोधपुर के कोतवाली थाना क्षेत्र का है, जहां गुलाब सागर इलाके में 21 जून को एक अज्ञात शव बरामद हुआ। शव की पहचान तत्काल नहीं हो सकी, लेकिन DNA जांच और परिवार द्वारा जुटाए गए वीडियो-फोटो फुटेज के आधार पर पता चला कि वह शव इस्माइल (20 वर्ष) नामक युवक का था, जिसकी गुमशुदगी रिपोर्ट 20 जून को सदर बाजार थाने में दर्ज कराई गई थी।
25 जून को पुलिस ने शव का करवा दिया अंतिम संस्कार
21 जून को बरामद शव को महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया था। लेकिन तालमेल की भारी कमी और थानों के आपसी संवाद की कमी के चलते, पुलिस ने महज चार दिन बाद यानी 25 जून को शव को लावारिस घोषित कर उसका दाह संस्कार करवा दिया।
DNA जांच के लिए शव से खून का सैंपल तो सुरक्षित रखा गया था, लेकिन मृतक की पहचान सुनिश्चित करने की कोई ठोस कोशिश नहीं की गई।
परिजन खुद पहुंचे फुटेज खंगालने, फिर हुआ खुलासा
26 जून को मृतक की भाभी को इस्माइल के शव की जानकारी मिली। इसके बाद परिजन खुद गुलाब सागर पहुंचे, और वहां के CCTV फुटेज, फोटो आदि देखे। उन्हें शक हुआ कि यह शव इस्माइल का हो सकता है। इसके बाद पुलिस ने DNA टेस्ट के लिए मृतक की मां मल्का और शव के सैंपल को एफएसएल भेजा।
जांच में पुष्टि हुई कि शव इस्माइल का ही था। इस खबर के बाद परिवार में कोहराम मच गया। मृतक की मां का रो-रोकर बुरा हाल है।
एक ही परिसर में दो थाने, फिर भी संवादहीनता क्यों?
गौर करने वाली बात यह है कि इस्माइल की गुमशुदगी की रिपोर्ट सदर बाजार थाने में दर्ज की गई थी, जबकि शव कोतवाली थाना क्षेत्र में मिला। हैरानी की बात ये है कि दोनों थाने एक ही परिसर में स्थित हैं, फिर भी आपस में कोई सूचना साझा नहीं की गई। इसी कारण एक धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण प्रक्रिया — अंतिम संस्कार — में बड़ी गलती हो गई।