सीजी भास्कर, 31 जुलाई : बिना अनुमति मकान निर्माण के आरोप में रायपुर नगर निगम द्वारा नोटिस मिलने के बाद तोमर बंधुओं के परिवार की ओर से हाई कोर्ट में गुहार लगाई गई है। याचिकाकर्ता महिला ने कहा कि उसके मकान निर्माण से जुड़े सभी दस्तावेज पुलिस ने जब्त कर लिए हैं, इसलिए वो निगम को जवाब नहीं दे पा रही है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फिलहाल डेमोलिशन (तोड़फोड़) पर रोक लगाते हुए निगम को निर्देश दिए कि दस्तावेज मिलने और सुनवाई पूरी होने तक कोई दमनात्मक कार्रवाई न की जाए।
मामला रायपुर के भाठागांव इलाके का है। सुभ्रा सिंह तोमर (41 वर्ष) अपने पति वीरेंद्र सिंह तोमर (तोमर बंधु) के साथ यहां मकान नंबर 685/4 में रहती हैं। उन्होंने एक करोड़ रुपए का होम लोन लेकर मकान बनवाया है। महिला का कहना है कि मकान का नक्शा और निर्माण की अनुमति पूरी तरह वैध है, लेकिन 25 जुलाई 2025 को नगर निगम जोन क्रमांक 6 से उन्हें नोटिस भेजा गया। नोटिस में आरोप लगाया गया कि उन्होंने बिना अनुमति मकान निर्माण किया है और 31 जुलाई तक संतोषजनक जवाब नहीं देने पर निगम द्वारा भवन तोड़फोड़ की कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस रेड में जब्त हो गए दस्तावेज, मकान भी सील
महिला ने अपनी याचिका में बताया कि 4 जून 2025 को थाना तेलीबांधा पुलिस ने उनके मकान पर छापा मारा था। इस दौरान निर्माण से जुड़े सभी मूल दस्तावेज और अनुमति पत्र पुलिस ने जब्त कर लिए। मकान को भी सील कर दिया गया। इसलिए उनके पास नगर निगम को देने के लिए कोई दस्तावेज मौजूद नहीं हैं। महिला ने बताया कि उन्होंने 28 जुलाई को निगम को विस्तृत जवाब भेजते हुए दस्तावेजों की जब्ती की पूरी जानकारी दी थी और पुलिस से दस्तावेज दिलाने की मांग भी की थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
निगम का दावा- चौथी मंजिल पर स्विमिंग पूल अवैध
दूसरी ओर नगर निगम की ओर से कोर्ट में पेश हुए अधिवक्ता ने बताया कि याचिकाकर्ता ने चौथी मंजिल पर अवैध रूप से स्विमिंग पूल का निर्माण किया है, जो नियमों का खुला उल्लंघन है।
दस्तावेज लेकर जवाब देने का दें पूरा मौका
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद निगम को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को दस्तावेज प्राप्त करने और जवाब दाखिल करने का पूरा अवसर दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता 10 दिनों के भीतर नगर निगम में आवेदन देकर दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां हासिल कर सकती है। इसके बाद 15 दिनों के भीतर निगम को जवाब देना होगा।
निगम को निर्देश दिया गया कि दस्तावेजों की जांच कर सुनवाई के बाद 30 दिनों के भीतर अंतिम निर्णय लें। इस दौरान किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ या दमनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को न्यायिक प्रक्रिया के तहत पूरा सुनवाई का मौका दिया जाए और दस्तावेजों के अभाव में उनके मकान पर तत्काल कोई भी डेमोलिशन कार्रवाई करना उचित नहीं होगा।