सीजी भास्कर, 3 अगस्त। कोरबा जिला जेल में निरुद्ध चार विचाराधीन बंदी, जो दुष्कर्म के आरोपित हैं, ने गमछे का उपयोग कर लोहे के एंगल को लंगर बनाकर 25 फीट ऊंची दीवार फांदकर फरार हो गए।
यह घटना तब हुई जब दोपहर 3:30 बजे बंदियों को गौशाला में काम करने के लिए बैरक से बाहर निकाला गया था। जेल ब्रेक की इस घटना ने अधिकारियों में हड़कंप मचा दिया। घटना की सूचना पुलिस को लगभग एक घंटे बाद दी गई, जबकि जेल कर्मी अपने स्तर पर आसपास के जंगल में बंदियों की तलाश करते रहे। जेल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों में पूरी घटना कैद हो गई है।
जिला जेल, जो रजगामार रोड पर स्थित है, में निरुद्ध चार बंदियों में राजा कंवर (22 वर्ष), दशरथ सिदार (19 वर्ष), सरना सिंकू (26 वर्ष) और चन्द्रशेखर राठिया (20 वर्ष) शामिल हैं। इन सभी पर दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट के तहत मामले दर्ज हैं।
जेल प्रबंधन ने इनकी ड्यूटी गोठान में लगाई थी, जहां उद्यानिकी कार्य के लिए एक रोलर और लंबा राड रखा गया था। बंदियों ने योजना के अनुसार इस राड को मोड़ कर लंगर बनाया और गमछे को रस्सी के रूप में उपयोग किया। उन्होंने इसे जेल की दीवार में बिछाए गए बिजली के तार के एंगल में फंसा दिया।
यह सब तब किया गया जब जेल परिसर की बिजली बंद थी, जिससे करंट का खतरा नहीं था। एक-एक कर बंदी लंगर के सहारे दीवार पर चढ़ गए और बाहर निकल गए। घटना की जानकारी मिलते ही जेल अधीक्षक विजया नंद सिंह मौके पर पहुंचे।
चार बंदियों के फरार होने से जिला जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
जेल में रोलर में हैंडल लगा होता है, ऐसे में अतिरिक्त राड की आवश्यकता क्यों थी? यह भी सवाल उठता है कि क्या बैरक से बाहर निकाले गए बंदियों की निगरानी करने वाला कोई नहीं था।
पहले इस जेल में क्षमता से दोगुना बंदी रखा जाता था, लेकिन अब अतिरिक्त बैरक के निर्माण के बाद केवल 205 बंदी ही निरुद्ध हैं। आमतौर पर देखा गया है कि बंदी प्रहरियों पर विश्वास जमाकर जेल ब्रेक की घटनाओं को अंजाम देते हैं।
सीएसपी भूषण एक्का ने कहा कि घटना में शामिल जेल कर्मियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 7 जुलाई 2019 को महेश उरांव नामक बंदी भी इसी तरह जेल से फरार हो गया था।