सीजी भास्कर, 3 अगस्त |
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों के हित में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राज्य के विभिन्न जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा जारी उस निर्देश को खारिज कर दिया है, जिसमें स्कूलों को केवल एनसीईआरटी/एससीईआरटी की पुस्तकें खरीदने और बेचने के लिए बाध्य किया गया था।
अदालत ने स्पष्ट किया कि यह निर्देश मनमाना, अवैध और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) के विपरीत है, जो व्यवसाय की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। यह फैसला छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा दाखिल याचिका पर सुनाया गया, जिसमें कहा गया था कि स्कूलों पर थोपे गए निर्देश अनुचित हैं और शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
यह था मामला
राज्य के विभिन्न जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) द्वारा फरवरी से जून 2025 के बीच निर्देश जारी किए गए थे कि कक्षा एक से 10 तक केवल एनसीईआरटी/एससीईआरटी की किताबें ही प्रयोग में लाई जाएं अन्यथा संबंधित स्कूलों की मान्यता रद कर दी जाएगी। साथ ही निजी प्रकाशकों की पुस्तकों के उपयोग पर भी रोक लगा दी गई थी।
कोर्ट में यह दलीलें दी गईं
एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशीष श्रीवास्तव ने दलील दी कि सीबीएसई द्वारा 12 अगस्त 2024 को जारी दिशा-निर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि, कक्षा एक से 8 तक के लिए एनसीईआरटी/एससीईआरटी पुस्तकों के उपयोग की सलाह दी जाती है, लेकिन पूरक सामग्री की अनुमति है।
कक्षा 9 से 12 के लिए एनसीईआरटी किताबें अनिवार्य हैं और जहां उपलब्ध नहीं हैं वहां सीबीएसई की वेबसाइट पर उपलब्ध किताबें मान्य हैं। पूरक डिजिटल कंटेंट एवं निजी प्रकाशकों की पुस्तकें उपयोग में लाई जा सकती हैं।
हाई कोर्ट के इस फैसले से निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को सहुलियत होगी, क्योंकि एनसीईआरटी की किताबों से कई बार छात्र विषय को पूरी तरह से समझ नहीं पाते हैं। ऐसे में निजी प्रकाशनों की किताबों से पढ़ाने की अनुमति से छात्रों को अध्ययन में लाभ मिलेगा।