सीजी भास्कर, 15 अगस्त : तीन साल की कंचन को लगातार तीन बार डंस लिया। चंद मिनटों में उसकी तबीयत बिगड़ने लगी और परिजन उसे आनन-फानन में जिला अस्पताल की पीआइसीयू लेकर पहुंचे। वहां डॉक्टरों ने तुरंत वेंटिलेटर पर रखकर इलाज शुरू किया।
सर्पदंश के 24 घंटे के भीतर डॉक्टरों ने उसे 40 एंटी वेनम इंजेक्शन दिए। (Snake Bite Survival) के तेज जहर के कारण कंचन के दोनों हाथ-पैर पूरी तरह से पक्षाघातग्रस्त हो गए थे और उसकी सांसें धीमी पड़ गई थीं। हालत बेहद गंभीर थी, लेकिन डॉक्टरों ने लगातार मॉनिटरिंग, जीवन रक्षक उपकरण और दवाओं के जरिए उपचार जारी रखा।
ग्यारह दिनों तक यह संघर्ष जारी रहा। हर पल माता-पिता की आंखों में चिंता और उम्मीद का मिश्रण था। आखिरकार, 11वें दिन उसकी तबीयत में सुधार दिखने लगा। डॉक्टरों ने धीरे-धीरे वेंटिलेटर सपोर्ट हटाया और उसे निगरानी में रखा। अब कंचन सामान्य आहार लेने लगी है और उसकी आवाज भी लौट आई है।
बेटी की मुस्कान वापस देखकर माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। उन्होंने डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने समय रहते सही इलाज कर उनकी बच्ची को नई जिंदगी दी। यह घटना न सिर्फ सर्पदंश के खतरों के प्रति चेतावनी है, बल्कि यह भी बताती है कि समय पर इलाज, आधुनिक चिकित्सा और जीने की इच्छा मिलकर असंभव को भी संभव बना सकते हैं।