सीजी भास्कर, 17 अगस्त | दक्षिण-पूर्व रेलवे से अलग होकर बिलासपुर को स्वतंत्र दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे जोन (SECR) बनाने की लड़ाई 90 के दशक में लंबे संघर्ष और आंदोलनों से होकर गुज़री।
आखिरकार, 20 सितम्बर 1998 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भव्य समारोह में इसका उद्घाटन किया।
आंदोलन से उपजा जोश
1990 के दशक में बिलासपुर रेलवे जोन की मांग जोरों पर थी। 15 जनवरी 1996 को आंदोलन उग्र हो गया और प्रदर्शनकारियों ने बिलासपुर स्टेशन पर भारी तोड़फोड़ की।
करोड़ों रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई और हालात बिगड़ने पर कर्फ्यू लगाना पड़ा। कई महीनों बाद स्टेशन फिर से पूरी तरह कार्यशील हो सका।
राजनीति और प्रधानमंत्री का इंतज़ार
आंदोलन की तीव्रता के बाद केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा और बिलासपुर में नया रेलवे जोन बनाने का निर्णय लिया गया। लेकिन उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दौरे की तारीख़ बार-बार आगे बढ़ती रही।
सितम्बर 1998 आते-आते विधानसभा चुनाव का समय नज़दीक था। भाजपा नेताओं ने पीएम से निवेदन किया कि वे चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले बिलासपुर में उद्घाटन करें। आखिरकार, पीएम ने 20 सितम्बर 1998 की तारीख तय कर दी।
मध्यप्रदेश सरकार रही अनजान
दिलचस्प बात यह रही कि तत्कालीन मध्यप्रदेश शासन को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की कोई जानकारी ही नहीं थी।
जब जिला प्रशासन ने सूचना दी, तब भोपाल में बैठे अधिकारी चौंक गए। बाद में पीएमओ से पुष्टि हुई और कार्यक्रम पक्का हो गया।
भव्य आयोजन और जनता का उत्साह
रेलवे स्टेशन परिसर में बड़े पैमाने पर तैयारी हुई। हेलीपैड बनाया गया और विशाल सभा स्थल तैयार किया गया।
मौसम को लेकर पीएमओ की चिंता के बावजूद जिला प्रशासन ने पूरी व्यवस्था का भरोसा दिया।
20 सितम्बर 1998 को प्रधानमंत्री वाजपेयी दिल्ली से रायपुर और फिर हेलीकॉप्टर से बिलासपुर पहुंचे।
हजारों की भीड़ ने उनका स्वागत किया। भारी जनसमूह की मौजूदगी में दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे जोन का उद्घाटन हुआ।
हालांकि, जोन का दफ्तर उद्घाटन के साथ सक्रिय हो गया, लेकिन यह पूरी तरह 1 अप्रैल 2003 से प्रभावशील हुआ।