सीजी भास्कर, 18 अगस्त
रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाला केस में नया मोड़ आने वाला है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की 14 दिन की न्यायिक रिमांड आज खत्म हो रही है। चैतन्य को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय (ED) फिर से उसकी कस्टोडियल रिमांड बढ़ाने की मांग करेगा।
ED का दावा: 16.70 करोड़ रुपए मिले चैतन्य को
ED ने आरोप लगाया है कि शराब घोटाले से निकले ब्लैक मनी का एक हिस्सा चैतन्य बघेल तक पहुंचा। जांच एजेंसी के मुताबिक, चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए घोटाले की रकम के रूप में मिले।
ED का कहना है कि इस पैसे को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट कर मनी लॉन्ड्रिंग की गई। ब्लैक मनी को सफेद दिखाने के लिए फर्जी निवेश और नकली ट्रांजेक्शन दिखाए गए।
बघेल डेवलपर्स में फर्जी निवेश का खेल
ED की रिपोर्ट के अनुसार, चैतन्य के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में सीधे तौर पर घोटाले की रकम लगाई गई।
इस प्रोजेक्ट में वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ था, जबकि रिकॉर्ड में सिर्फ 7.14 करोड़ रुपए दिखाया गया।
जब्त दस्तावेजों से यह भी सामने आया कि एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ रुपए कैश पेमेंट किया गया, जिसे आधिकारिक रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया।
19 फ्लैट्स की खरीद-फरोख्त से हेराफेरी
ED ने खुलासा किया कि कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन ने 19 फ्लैट खरीदने के लिए 5 करोड़ रुपए बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किए। फ्लैट्स ढिल्लन के कर्मचारियों के नाम पर खरीदे गए, लेकिन पैसे ढिल्लन ने खुद दिए।
यह पूरा ट्रांजेक्शन 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन किया गया। ED का कहना है कि यह सौदा ब्लैक मनी को वैध बनाने की पूर्व-योजना थी।
ज्वेलर्स के जरिए 5 करोड़ की हेराफेरी
भिलाई के एक ज्वेलर्स का नाम भी इस केस में सामने आया है। ED का कहना है कि ज्वेलर्स ने चैतन्य बघेल को 5 करोड़ रुपए कैश दिए। बाद में वही ज्वेलर्स बघेल की कंपनी से सिर्फ 80 लाख रुपए के 6 प्लॉट खरीद लेता है।
ED का आरोप है कि यह पैसा शराब घोटाले से आया हुआ कैश था, जिसे बैंक ट्रांसफर के जरिए वैध दिखाया गया।
पैसा छिपाने के लिए फ्रंट कंपनियों का इस्तेमाल
ED का दावा है कि चैतन्य बघेल ने सीधे तौर पर पैसा न लेकर कई फ्रंट कंपनियों और तीसरे लोगों के जरिए लेन-देन किया, ताकि घोटाले की रकम का सीधा ट्रैक न मिल सके।
ढिल्लन सिटी मॉल और ढिल्लन ड्रिंक्स जैसी कंपनियों के जरिए पैसा घुमाकर अंत में बघेल डेवलपर्स तक पहुंचाया गया।
क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला?
छत्तीसगढ़ के इस बड़े शराब घोटाले की जांच ED और ACB कर रही है। FIR के मुताबिक, यह घोटाला 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा का है।
ED की जांच में सामने आया कि घोटाले के दौरान तत्कालीन सरकार में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर सहित कई लोगों ने सिंडिकेट बनाकर पैसे की हेराफेरी की।