सीजी भास्कर, 19 अगस्त : संसद की एक समिति ने कहा है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 2019 से शिक्षण या गैर-शिक्षण स्टाफ की कोई स्थायी भर्ती नहीं की है। देशभर के स्कूलों में शिक्षकों के लगभग 10 लाख पद रिक्त हैं। शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी स्थायी समिति ने “डिग्री बेचने वाले” शिक्षक प्रशिक्षण कालेजों पर कार्रवाई की चेतावनी दी है, जो संस्थानों के बजाय दुकानों में बदल गए हैं।
समिति ने मार्च 2026 तक खाली पदों को भरने, केंद्रीय वेतन अनुदानों को नियमित नियुक्तियों से जोड़ने, इन स्कूलों में शिक्षकों की संविदा नियुक्तियों को रोकने और निम्न गुणवत्ता वाले कालेजों को बंद करने की सिफारिशें की हैं।
समिति ने विभाग और एनसीटीई की इस बात का संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया है कि शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए, अस्थायी उपाय किए गए हैं, जिसमें अल्पकालिक अनुबंध पर सलाहकारों को नियुक्त किया गया है। समिति ने इस बात को भी गंभीरता से लिया है कि 2019 के बाद से एनसीटीई ने स्थायी शिक्षण, गैर-शिक्षण और प्रशासनिक कर्मचारियों की कोई भर्ती नहीं की है। समिति ने इस बात पर भी गौर किया है कि 14.8 लाख स्कूलों में से, केंद्र सरकार केवल लगभग तीन हजार स्कूलों का संचालन करती है। केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्कूलों जैसे केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय आदि में भी रिक्तियों का स्तर चिंताजनक है।
केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय में भी कुल मिलाकर 30 से 50 प्रतिशत पद रिक्त हैं और रिक्तियों को भरने के लिए समिति की बार-बार की गई सिफारिशों के बावजूद शिक्षकों की संविदा पर नियुक्तियां की जा रही हैं। जून 2025 तक एनसीटीई में ग्रुप ए के 54 प्रतिशत पद, ग्रुप बी के 43 प्रतिशत और ग्रुप सी के 89 प्रतिशत पद रिक्त थे। समिति ने चेतावनी दी है कि संकट को बढ़ाने वाले मुद्दों में नए चार वर्षीय बी.एड पाठ्यक्रम का कार्यान्वयन, पाठ्यक्रम डिजाइन में अत्यधिक केंद्रीकरण और संविदा शिक्षकों पर भारी निर्भरता शामिल है।