सीजी भास्कर, 22 अगस्त। तालाब की खुदाई के दौरान ग्रामीणों को ऐसी संरचनाएं मिलीं, जिन्हें देखकर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि यह डायनासोर युग का कंकाल हो सकता है।
राजस्थान के जैसलमेर जिले में वैज्ञानिकों को यह अनोखी खोज हाथ लगी है। फतेहगढ़ उपखंड के मेघा गांव में तालाब की खुदाई में मिले कंकाल के संबंध में वैज्ञानिकों का कहना है कि इनकी असली पहचान और उम्र का पता केवल विस्तृत जांच के बाद ही लगाया जा सकेगा।
खुदाई में मिला रहस्यमयी ढांचा
ग्रामीणों ने बताया कि तालाब की खुदाई करते समय बड़े पत्थरों जैसे टुकड़े और कंकाल जैसी संरचना सामने आई।
कुछ हिस्से जीवाश्म लकड़ी जैसे दिखते हैं, जबकि बाकी हड्डियों जैसे प्रतीत हो रहे हैं। यह खोज अचानक पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई।
अधिकारियों और विशेषज्ञों ने किया निरीक्षण
फतेहगढ़ के उपखंड अधिकारी भरतराज गुर्जर और तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर अवशेषों का निरीक्षण किया। इसके बाद भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) की टीम को वैज्ञानिक जांच के लिए सूचना दी गई है।
अधिकारियों का कहना है कि केवल वैज्ञानिक परीक्षणों के बाद ही यह तय होगा कि ये अवशेष वाकई डायनासोर युग से जुड़े हैं या नहीं।
विशेषज्ञों की राय
पुरातत्वविद् पार्थ जगानी ने कहा कि यहां मिली संरचनाएं पथरीली लकड़ी जैसी लग रही हैं, लेकिन एक बड़ा ढांचा ऐसा है जो कंकाल जैसा दिखाई देता है। यह संभावना जताई जा रही है कि यह लाखों साल पुराना जीवाश्म हो सकता है।
हालांकि प्रोफेसर श्याम सुंदर मीणा का मानना है कि यह जरूरी नहीं कि अवशेष अत्यधिक प्राचीन हों। यह भी संभव है कि ये केवल 50 से 100 साल पुराने हों। सटीक उम्र जानने के लिए कार्बन डेटिंग और अन्य वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
सोशल मीडिया पर वायरल
जैसे ही यह खबर फैली, बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंच गए और फोटो-वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने लगे। लोगों में उत्सुकता है कि आखिर यह ढांचा वास्तव में किस युग का है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जैसलमेर क्षेत्र में पहले भी डायनासोर के जीवाश्म और पैरों के निशान मिल चुके हैं। अगर यह खोज प्रमाणित होती है, तो राजस्थान को भारत का जीवाश्म विज्ञान केंद्र मानने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।