नई दिल्ली:
डायबिटीज के मरीजों के लिए एक अहम रिसर्च सामने आई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने पाया है कि शरीर में मौजूद एक ज़रूरी प्रोटीन कोलेजन (Collagen I) टाइप-2 डायबिटीज को और खराब कर सकता है। यह बीमारी पहले से ही दुनिया भर में करोड़ों लोगों के लिए आजीवन चुनौती बनी हुई है।
कोलेजन क्या है और क्यों ज़रूरी है?
कोलेजन मानव शरीर का सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन है। यह त्वचा, हड्डियों और टिश्यू को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। उम्र बढ़ने पर इसका उत्पादन कम हो जाता है, जिससे झुर्रियां, जोड़ों का दर्द और टिश्यू कमजोर होने जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
इसी कमी को पूरा करने के लिए लोग कोलेजन सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल करते हैं, जो पाउडर, कैप्सूल और ड्रिंक के रूप में उपलब्ध हैं।
नया रिसर्च क्या कहता है?
आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी कानपुर और चित्तरंजन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट, कोलकाता की संयुक्त स्टडी ने कोलेजन और एमिलिन (Amylin) के बीच के रिश्ते पर ध्यान केंद्रित किया।
- एमिलिन, इंसुलिन के साथ पैंक्रियास से बनने वाला एक हार्मोन है।
- टाइप-2 डायबिटीज में यह हानिकारक गुच्छे (Toxic Clumps) बनाता है जो इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।
- स्टडी में पाया गया कि कोलेजन I इन गुच्छों को और ज्यादा तेजी से बनने में मदद करता है, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल करना और मुश्किल हो जाता है।
रिसर्च से क्या सामने आया?
- जैसे-जैसे डायबिटीज बढ़ती है, शरीर में कोलेजन और एमिलिन दोनों का स्तर बढ़ने लगता है।
- इससे पैंक्रियास पर और ज्यादा दबाव पड़ता है और कोशिकाएं तेजी से डैमेज होती हैं।
- प्रोफेसर शमिक सेन के अनुसार, “एमिलिन कोलेजन की सतह पर जमकर स्थिर समूह बनाता है, जिन्हें शरीर साफ नहीं कर पाता। यही कारण है कि कुछ ट्रीटमेंट्स पूरी तरह असरदार साबित नहीं हो पाते।”
क्या कोलेजन सप्लीमेंट्स भी खतरनाक हैं?
यह स्टडी केवल शरीर में मौजूद नेचुरल कोलेजन I पर आधारित है। इसमें सप्लीमेंट्स का सीधा ज़िक्र नहीं किया गया है। हालांकि, रिसर्च यह सवाल खड़ा करती है कि क्या कोलेजन सप्लीमेंट्स भी डायबिटीज रोगियों के लिए जोखिम बढ़ा सकते हैं।
कुछ रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि सप्लीमेंट्स ब्लड शुगर कंट्रोल में मदद कर सकते हैं। लेकिन, विशेषज्ञ मानते हैं कि इस पर और गहन रिसर्च की ज़रूरत है।