सीजी भास्कर 23 अगस्त:
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा और हिंसक कुत्तों को लेकर अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने साफ कहा है कि सामान्य और स्वस्थ आवारा कुत्तों की नसबंदी, कृमिनाशक दवा और टीकाकरण के बाद उन्हें उसी क्षेत्र में छोड़ा जाएगा।
लेकिन यदि कोई कुत्ता रेबीज से संक्रमित या हिंसक प्रवृत्ति का पाया जाता है, तो उसे वापस नहीं छोड़ा जाएगा।
भारत में पागल या आक्रामक कुत्तों की पहचान का काम स्थानीय प्रशासन, नगरपालिका नियमों और पशु जन्म नियंत्रण (ABC) कानून के तहत किया जाता है।
कैसे पहचाने जाते हैं पागल या हिंसक कुत्ते?
विशेषज्ञों और अधिकारियों के अनुसार, किसी कुत्ते को हिंसक या रेबीज ग्रस्त मानने के लिए उसके व्यवहार और शारीरिक लक्षणों पर ध्यान दिया जाता है। आमतौर पर निम्न संकेत देखे जाते हैं:
- बिना कारण लगातार आक्रामक होना
- भौंकने में कठिनाई या आवाज बदल जाना
- मुंह से अत्यधिक लार या झाग निकलना
- लड़खड़ाकर चलना या संतुलन खोना
- आसपास की जगह या लोगों को न पहचान पाना
- जबड़े का ढीला पड़ जाना
- आंखों में खालीपन या भ्रम की स्थिति
इन लक्षणों वाले कुत्तों को तुरंत चिन्हित कर पशु चिकित्सकों की निगरानी में रखा जाता है।
रेबीज संदिग्ध कुत्तों की जांच प्रक्रिया
अगर किसी कुत्ते में रेबीज के लक्षण मिलते हैं तो उसकी जांच एक विशेष पैनल करता है। इस पैनल में स्थानीय प्रशासन द्वारा नियुक्त पशु चिकित्सक और पशु कल्याण संगठन का प्रतिनिधि शामिल होता है।
- ऐसे कुत्तों को अलग-थलग रखा जाता है
- करीब 10 दिन तक निगरानी में रखा जाता है
- इस दौरान यदि कुत्ता प्राकृतिक रूप से मर जाता है तो उसकी पुष्टि हो जाती है
सुप्रीम कोर्ट का नया निर्देश
पहले ABC नियमों में हिंसक कुत्तों की कैटेगरी का कोई जिक्र नहीं था। अब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ऐसे कुत्तों को इस श्रेणी में रखा जाएगा:
- जो बार-बार काटने की घटनाओं में शामिल हों
- जो लगातार खतरनाक आक्रामकता दिखाते हों
- जिनका हमला सामान्य प्रवृत्ति से अलग हो
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि किसी भी व्यक्ति या संस्था को अधिकारियों के काम में बाधा डालने की अनुमति नहीं होगी।