सीजी भास्कर, 23 अगस्त |
रायपुर।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की 5 दिन की ED कस्टडी आज खत्म हो रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लगातार 5 दिन तक उनसे पूछताछ की।
आज उन्हें रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, पूछताछ में ED को कई नए तथ्य मिले हैं। एजेंसी अब कुछ होटल मालिकों और रियल एस्टेट कारोबारियों को समन भेजकर तलब करने की तैयारी कर रही है।
ED का दावा: चैतन्य को मिले 16.70 करोड़ रुपए
ED का आरोप है कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य बघेल को करीब 16.70 करोड़ रुपए मिले।
एजेंसी ने बताया कि यह पैसा रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में लगाया गया और इसे वैध दिखाने के लिए फर्जी निवेश दिखाया गया।
जांच में यह भी सामने आया कि सिंडिकेट के जरिए 1000 करोड़ रुपए से अधिक की हेराफेरी की गई थी।
विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट में ब्लैक मनी का इस्तेमाल
ED के अनुसार, चैतन्य बघेल के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में शराब घोटाले का पैसा लगाया गया। इस प्रोजेक्ट में वास्तविक खर्च करीब 13-15 करोड़ रुपए था, जबकि रिकॉर्ड में सिर्फ 7.14 करोड़ दिखाए गए।
जांच के दौरान ED ने पाया कि कंपनी ने एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ रुपए कैश दिए, जिसे आधिकारिक रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया।
फर्जी फ्लैट खरीद का खुलासा
ED की रिपोर्ट के मुताबिक, कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने एक ही दिन में 19 फ्लैट खरीदने के नाम पर 5 करोड़ रुपए बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किए। फ्लैट कर्मचारियों के नाम पर खरीदे गए, लेकिन पूरा भुगतान ढिल्लो ने किया।
कर्मचारियों ने पूछताछ में माना कि खरीदारी उनके नाम से हुई, पर भुगतान ढिल्लो ने ही किया। एजेंसी का कहना है कि यह सब ब्लैक मनी को सफेद दिखाने के लिए किया गया।
कैश-ट्रांसफर के जरिए हेराफेरी
ED ने खुलासा किया कि भिलाई के एक ज्वेलर ने चैतन्य बघेल को 5 करोड़ रुपए कैश लोन दिया। बाद में उसी ज्वेलर ने बघेल की कंपनी से 6 प्लॉट खरीद लिए, जिनकी कीमत सिर्फ 80 लाख रुपए थी।
यह लेन-देन बैंकिंग चैनल से किया गया ताकि कैश को लीगल ट्रांजेक्शन की तरह दिखाया जा सके।
फ्रंट कंपनियों का इस्तेमाल
एजेंसी का कहना है कि चैतन्य बघेल ने घोटाले का पैसा छिपाने के लिए कई फ्रंट कंपनियों और लोगों का इस्तेमाल किया। पैसा पहले ढिल्लो सिटी मॉल और ढिल्लो ड्रिंक्स जैसी कंपनियों में घुमाया गया और बाद में बघेल डेवलपर्स तक पहुंचाया गया।
क्या है शराब घोटाला मामला?
छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा का बताया जा रहा है। इस मामले में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के पूर्व MD एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर पर भी आरोप लगे हैं।
ED का कहना है कि भूपेश सरकार के समय इन लोगों के सिंडिकेट ने मिलकर घोटाले को अंजाम दिया।