सीजी भास्कर, 10 सितंबर। छत्तीसगढ़ में मंगलवार को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक(Cabinet Decisions) में एक बड़ा फैसला लिया गया। बैठक में पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता घटाने और गैर पारंपरिक ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य की सौर ऊर्जा नीति में संशोधन किया गया। इस कदम से प्रदेश में (Solar Energy Policy) को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
डिप्टी सीएम अरुण साव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सौर ऊर्जा परियोजनाओं को अब राज्य की औद्योगिक नीति के तहत प्राथमिकता उद्योग(Cabinet Decisions) का दर्जा मिलेगा। इसके अंतर्गत निवेशकों को ब्याज अनुदान, पूंजी लागत पर छूट, जीएसटी प्रतिपूर्ति और अन्य करों में रियायतें दी जाएंगी। इसके अलावा अनुसूचित जाति-जनजाति, दिव्यांग, वरिष्ठ नागरिक और तृतीय लिंग समुदाय के उद्यमियों को जमीन के प्रीमियम पर भी छूट प्रदान की जाएगी।
अधिकारियों का मानना है कि इस फैसले से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि उद्योग जगत में निवेश की नई संभावनाएं भी खुलेंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिजली आपूर्ति की समस्या है, वहां (Renewable Energy Projects) के माध्यम से समाधान निकाला जा सकेगा। सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ को सौर ऊर्जा उत्पादन का हब बनाया जाए।
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि इस नीति से स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। बड़ी कंपनियों के साथ-साथ छोटे उद्यमियों को भी समान अवसर मिलेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नीति(Cabinet Decisions) का प्रभावी क्रियान्वयन हुआ तो आने वाले समय में राज्य न केवल अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी करेगा बल्कि अतिरिक्त ऊर्जा का निर्यात भी कर सकेगा।
पर्यावरणविदों ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि सौर ऊर्जा से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और प्रदेश ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में उदाहरण प्रस्तुत करेगा। वहीं राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि (Government Incentives) का लाभ पारदर्शी व्यवस्था के तहत दिया जाएगा ताकि अधिक से अधिक निवेशक जुड़ सकें।
