सीजी भास्कर, 11 सितंबर। अबूझमाड़ का इलाका, जो कभी माओवादियों का गढ़ माना जाता था, वहां सरेंडर की कहानियां तेजी से बढ़ रही हैं। बुधवार को लंका और डूंगा पंचायत क्षेत्र के 16 नक्सलियों (Naxal Violence End) ने आत्मसमर्पण कर संगठन को अलविदा कह दिया।
इनमें पंचायत सरकार सदस्य, मिलिशिया कमांडर और न्याय शाखा प्रमुख जैसे पदों पर काम करने वाले भी शामिल हैं।
सरेंडर के बाद पुलिस पूछताछ में इन नक्सलियों ने खुलासा किया कि संगठन में उनका जीवन बेहद मुश्किल था। उन्होंने बताया कि शीर्ष माओवादी लीडर (Maoist Leaders) सिर्फ आदिवासियों को सपने दिखाते रहे।
जबकि असल में उन्हें मजदूर से भी बदतर स्थिति में रखा जाता था। महिलाओं का मानसिक और शारीरिक शोषण आम बात थी।
पुलिस ने आत्मसमर्पण करने वालों को शासन की पुनर्वास योजना (Surrender and Rehabilitation Policy) के तहत 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि दी।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के नाम – लच्छू पोड़ियाम, केसा कुंजाम, मुन्ना हेमला, वंजा मोहंदा, जुरू पल्लो, मासू मोहंदा, लालू पोयाम, रैनू मोहंदा, जुरूराम मोहंदा, बुधराम मोहंदा, चिन्ना मंजी, कुम्मा मंजी, बोदी मोहंदा, बिरजू मोहंदा, बुधु मज्जी और कोसा मोहंदा बताए गए हैं।
इस साल 2025 में अब तक 164 नक्सली (Maoist Surrender) आत्मसमर्पण कर चुके हैं। सुरक्षा बलों की लगातार दबाव और बढ़ते कैंप के चलते माओवादियों का नेटवर्क तेजी से कमजोर हो रहा है।
पुलिस का कहना है कि सरेंडर करने वाले संगठन के “स्लीपर सेल” का अहम हिस्सा थे, जो नक्सली गतिविधियों को जिंदा रखने में मदद करते थे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अबूझमाड़ में धीरे-धीरे माहौल बदल रहा है। पहले जहां लोग डरकर नक्सलियों से बात नहीं करते थे, वहीं अब खुलकर पुलिस का साथ दे रहे हैं।
मिलिशिया और जनताना सरकार के सदस्य भी शामिल
नारायणपुर जिले में 16 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। इनमें पंचायत मिलिशिया और जनताना सरकार के सदस्य भी शामिल हैं।
सरेंडर के बाद नक्सलियों ने खुलासा किया कि संगठन में उन्हें मजदूर से भी बदतर स्थिति में रखा जाता था। महिलाएं सबसे ज्यादा शोषण झेल रही थीं।
पुलिस का कहना है कि ये नक्सली "स्लीपर सेल" की तरह काम करते थे।
50-50 हजार रुपये की सहायता राशि दी
अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षा बलों के दबाव और कैंप से नक्सलियों का मनोबल कमजोर हुआ है। यही वजह है कि इस साल अब तक 164 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
पुलिस ने सरेंडर करने वालों को पुनर्वास नीति के तहत 50 हजार की सहायता राशि दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब इलाके में शांति की दिशा में माहौल बदल रहा है।
