सीजी भास्कर, 12 सितंबर। गरियाबंद के मटाल पहाड़ियों में गुरुवार को हुई (Naxal Encounter) मुठभेड़ के बाद शुक्रवार सुबह जवानों के सामने सबसे कठिन काम था 10 माओवादियों के शवों को दुर्गम पहाड़ियों से निकालकर गरियाबंद मुख्यालय तक पहुंचाना।
सुरक्षा बलों का कहना है कि मुठभेड़ भले ही खत्म हो गई हो, लेकिन असली संघर्ष अब (Maoist Bodies) को खड़ी चढ़ाई और पथरीले रास्तों से निकालने का है। जवानों को लगातार कई किलोमीटर तक शव ढोकर लाना है और माओवादियों द्वारा लगाए गए आइईडी से बचना भी है, जिसके चलते जंगल का इलाका चुनौती बना हुआ है।
घटनास्थल मटाल पहाड़ियों में मारे गए माओवादियों की पहचान जानकारी के अनुसार इस प्रकार है—मनोज बालकृष्णन, प्रमोद उर्फ पांडु, अंजलि, विमल, विक्रम, समीर, उमेश, सिंधु, रजिता और आरती। इनमें 6 पुरुष और 4 महिलाएँ थीं। खास बात यह है कि तकनीकी टीम से जुड़े कई माओवादी भी मारे गए हैं, जो आइईडी और हथियारों की सप्लाई के लिए जिम्मेदार थे।
इस (Operation Challenge) के बीच स्थानीय सूत्र बताते हैं कि शवों को दोपहर तक लाया जाएगा, जिसके बाद शिनाख्त कर रायपुर भेजा जाएगा। इस दौरान इलाके में सुरक्षा बलों ने कई आइईडी को निष्क्रिय किया और माओवादियों के ठिकानों से हथियारों से भरा बॉक्स भी जब्त किया है। आपरेशन के दौरान भाग रहे अन्य 5 माओवादियों को भी कोबरा बटालियन ने घेर लिया था। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियां इस संभावना से इनकार नहीं कर रही हैं कि मृतकों की संख्या और भी बढ़ सकती है। इस पूरी (Security Forces) मुठभेड़ के दौरान रायपुर आईजी अमरेश मिश्रा गरियाबंद में कल रात से डटे हुए हैं और पूरे आपरेशन की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं।