सीजी भास्कर, 13 सितंबर। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद की पहाड़ियों में गुरुवार की सुबह गूंजे गोलियों (Maoist Downfall) के स्वर ने भारत की सबसे लंबी चली विद्रोही कथा के अंतिम अध्याय में नया पन्ना जोड़ दिया। केंद्रीय समिति स्तर का शीर्ष माओवादी आतंकी, एक करोड़ का इनामी मोडेम बालकृष्ण, सुरक्षा बलों की (Security Operation) कार्रवाई में मारा गया। उसके साथ दस और हथियारबंद साथी भी ढेर हो गए।
यह मुठभेड़ उस लाल आतंक पर निर्णायक चोट थी, जिसने आधी सदी से अधिक समय तक आदिवासी अंचलों को अपनी बंदूक की छाया में कैद रखा। वर्ष 2025 माओवादियों के लिए काल साबित हुआ है। बसवराजू, सुधाकर, चलपति, उदय और अब बालकृष्ण ये वे नाम थे, जिनके सहारे संगठन अपनी पकड़ बनाए हुए था। लेकिन एक-एक कर सब धराशायी हो गए। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक वर्ष के भीतर माओवादी संगठन के पांच केंद्रीय समिति सदस्य मुठभेड़ों में मारे गए हों।
माओवादी (Maoist Downfall) आंदोलन के इतिहास में इससे पहले सबसे बड़ा झटका 2 नवंबर 1999 को तेलंगाना के करीमनगर जिले में लगा था, जब पीपुल्स वार ग्रुप के तीन केंद्रीय समिति सदस्य मारे गए थे। लेकिन 2025 ने संगठन की (Backbone Collapse) ही तोड़ दी है। छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा के बीच मजबूत समन्वय, खुफिया तंत्र की पैनी पकड़ और सुरक्षा बलों के अदम्य साहस ने लंबे समय से सक्रिय माओवादियों के साम्राज्य को जर्जर कर दिया है।
अकेले छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों में 465 से अधिक माओवादी मारे गए हैं, जिनमें से 400 से अधिक बस्तर क्षेत्र से थे। इनमें 25 लाख के इनामी (Maoist Downfall) जोगन्ना, नीति, रूपेश, सुधीर, जगदीश समेत 12 राज्य स्तरीय (Top Maoist Leaders) भी मारे गए हैं। सुरक्षा बलों के शौर्य और सरकार की आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति के बल पर आज बस्तर बदल रहा है। गोलियों की गूंज की जगह अब अंदरूनी इलाकों के स्कूलों में बच्चों की हंसी सुनाई देने लगी है। घने जंगलों के बीच नए स्कूल, अस्पताल और सड़कें आकार ले रही हैं।
प्रदेश सरकार ने हाल ही में ‘बस्तर इन्वेस्टर कनेक्ट’ कार्यक्रम के जरिए 965 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव लाकर उद्योग और रोजगार सृजन को दिशा देने की पहल की है। यह कदम साबित करता है कि विकास और (Peace Initiative) ही उस जमीनी बदलाव की असली ताकत बन रहे हैं, जिसका सपना लंबे समय से देखा जा रहा था।
माओवादी संगठन की रीढ़ टूटने के साथ सुरक्षा बल अब बाकी बचे गुटों को खत्म करने की ओर बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णायक चरण में यदि सरकार पुनर्वास योजनाओं और विकास कार्यों पर फोकस (Maoist Downfall ) बनाए रखे तो आने वाले वर्षों में बस्तर और अन्य प्रभावित इलाकों में स्थायी शांति स्थापित की जा सकती है।
प्रमुख घटनाएं
11 सितंबर: गरियाबंद मुठभेड़ में मोडेम बालकृष्ण मारा गया।
21 मई: अबूझमाड़ माओवादी महासचिव बसवराजू मारा गया।
5 जून: बीजापुर में रिपोस प्रभारी नरसिम्हा चालम उर्फ सुधाकर मारा गया।
18 जून: आंध्र प्रदेश में गजरला रवि उर्फ उदय मारा गया।
21 जनवरी: गरियाबंद में जयराम रेड्डी उर्फ चलपति मारा गया।