सीजी भास्कर, 14 सितंबर। रात गहरी थी, अंधेरे और सन्नाटे के बीच अचानक ऐसा मंजर सामने आया जिसने गांव के हर शख्स (Elephant Attack Survival) की धड़कनें थाम दीं। चीख-पुकार, अफरातफरी और लोगों की तेज़ भागदौड़ के बीच एक युवक जंगली हाथियों के दल से आमने-सामने जा टकराया। सबकी निगाहें उसकी ओर थीं, मगर किसी के पास मदद करने की हिम्मत नहीं थी। लोग मान चुके थे कि अब उसकी जान बचना मुश्किल है। तभी घटनास्थल पर पहुंचे हाथी मित्रदल और वनकर्मियों ने ऐसा कदम उठाया जिसने इस खौफनाक दृश्य को किसी फिल्मी सस्पेंस से कम नहीं रहने दिया।
रात के लगभग 12 बजे हाथी मित्रदल और वनकर्मी गश्त पर थे। उन्हें सूचना मिली कि एक बड़ा झुंड, करीब 48 हाथियों (Elephant Attack Survival) का, देउरमार गांव की ओर बढ़ रहा है। ग्रामीणों ने मिलकर हाथियों को भगाने की कोशिश शुरू कर दी थी, लेकिन लगातार शोर-गुल से हालात और बिगड़ते जा रहे थे। हाथी मित्रदल ने गांववालों से अपील की कि वे तुरंत अपने घर लौट जाएं, क्योंकि शोरगुल से हाथी और भी उग्र हो सकते हैं। पर तभी अचानक उस झुंड से एक नर हाथी गुस्से से बेकाबू होकर ग्रामीणों पर टूट पड़ा।
घटना स्थल देउरमार गांव, धरमजयगढ़ वनमंडल, रायगढ़ जिले में घटित हुई। ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। इसी अफरातफरी में 21 वर्षीय पवन कुमार राठिया, पिता पिलीराम राठिया, जमीन पर गिर पड़े। उग्र हाथी सीधे उनकी ओर बढ़ रहा था। कुछ ही सेकंड में वह भयावह दृश्य बन सकता था, जिसे कोई देख भी नहीं पाता। पवन ज़मीन पर असहाय पड़े थे और हाथी महज कुछ कदम की दूरी पर था।
यही वह पल था जब हाथी मित्रदल और वनकर्मियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अद्भुत बहादुरी दिखाई। उन्होंने मित्रदल वाहन को तेज़ रफ्तार से मौके पर दौड़ाया और हूटर बजाते हुए हाथी (Elephant Attack Survival) के पीछे पहुंच गए। हूटर की आवाज़ से हाथी का ध्यान भटका और उसने पवन को छोड़कर जंगल की ओर रुख कर लिया। यह नज़ारा देखकर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। यदि हाथी मित्रदल की सूझबूझ और साहसिक निर्णय न होता तो शायद पवन की जान बचाना असंभव था।
हादसे के बाद घायल युवक को तुरंत शासकीय वाहन से पीएचसी छाल लाया गया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें खरसिया अस्पताल रेफर कर दिया गया। फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। घटना के बाद वन विभाग ने फिर से ग्रामीणों को चेताया कि जंगली हाथियों को भगाने या उनके करीब जाने की गलती न करें। हाथियों की गतिविधियों की जानकारी ग्रामीणों को नियमित रूप से दी जाती है ताकि ऐसे हादसों से बचा जा सके।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि हाथी मित्रदल और वनकर्मी केवल जंगल की सुरक्षा नहीं, बल्कि इंसानों की जान बचाने में भी लगातार अहम भूमिका निभा रहे हैं। उनकी सतर्कता और बहादुरी ने उस रात एक असंभव सी लग रही स्थिति को चमत्कार में बदल दिया।