सीजी भास्कर, 14 सितम्बर। छत्तीसगढ़ में पर्यटन की तस्वीर बदलने वाला एक बड़ा कदम उठाया गया है। कल्पना कीजिए, जब एक पर्यटक सीधे गांव के आंगन में बैठकर स्थानीय परंपराओं का हिस्सा बने, तो यह अनुभव किसी रहस्य से कम नहीं होगा। सरकार ने इस सपने को सच करने का फैसला किया है। कई महीनों से तैयारी के बाद, अब एक ऐसी योजना शुरू हुई है जो न केवल राज्य की पहचान बदलेगी बल्कि दुनिया के सामने इसे एक अनोखे रूप में पेश करेगी। लोग सोच रहे थे कि यह पहल आखिरकार किस क्षेत्र से आरंभ होगी और इसका लाभ सबसे पहले किसे मिलेगा। अब यह राज़ खुल चुका है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने (Community Tourism Initiative) की शुरुआत कर दी है। यह योजना होम-स्टे मॉडल पर आधारित है, जिसके तहत पर्यटकों को गाँवों में रहकर उनकी संस्कृति और जीवनशैली को नज़दीक से जानने का मौका मिलेगा। यह कदम उस दिशा में है जहाँ पर्यटन केवल घूमने तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि जीवन का हिस्सा बन जाएगा।
इस अनोखी पहल की शुरुआत जशपुर जिले के पांच गांवों – देओबोरा, केरे, दनगरी, छिछली और घोघरा से हुई है। ये गांव (Community Tourism Initiative) के पहले चरण का हिस्सा बनाए गए हैं। जशपुर, छत्तीसगढ़ का वह इलाका है जहाँ प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासी संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। अब यह क्षेत्र वैश्विक मंच पर अपनी पहचान दर्ज कराने की ओर बढ़ चुका है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। (Community Tourism Initiative) न केवल रोजगार सृजन करेगा बल्कि युवाओं को आत्मनिर्भर भी बनाएगा। पर्यटक सीधे गाँवों में रहकर आदिवासी परंपरा, भोजन और पूजा-पद्धति को महसूस कर पाएंगे। यह उनके लिए अविस्मरणीय अनुभव होगा।
इस कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त “पर्यटन मित्रों” को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए। प्रशिक्षण का उद्देश्य होम-स्टे के माध्यम से गाँवों को इको-टूरिज्म गंतव्य बनाना है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह पहल (Community Tourism Initiative) जशपुर को पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान दिलाएगी। जशपुर का मकरभंजा जलप्रपात और यहां के अन्य झरने पहले से ही पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। अब जब यह जिला से जुड़ चुका है तो यहाँ आने वाले लोग न केवल प्रकृति बल्कि संस्कृति की गहराइयों को भी महसूस कर पाएंगे।