सीजी भास्कर, 27 सितंबर। उत्तराखंड की ऊंची पहाड़ियों में इस बार मौसम का रौद्र रूप लोगों के लिए बड़ा संकट (Death Certificate Dharali Tragedy) बनकर आया। बादल फटने की घटनाओं ने जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त किया, वहीं कई गांव तबाह हो गए। इन्हीं में से एक था उत्तरकाशी का धराली गांव, जहां 5 अगस्त की दोपहर अचानक बादल फटने से खीर गंगा नदी उफान पर आ गई और महज 34 सेकेंड में पूरा गांव मलबे में समा गया। इस आपदा में कई लोगों की मौत हुई, जबकि 67 लोग अब तक लापता बताए गए।
लगातार तलाश और बचाव कार्य के बावजूद जब कोई सुराग नहीं मिला, तो अब प्रशासन ने केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद इन 67 लापता लोगों का मृत्यु पंजीकरण करने का निर्णय लिया है। इसके तहत मृतक प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे, ताकि परिजनों को राहत राशि और सरकारी मदद मिल सके।
मृत्यु पंजीकरण की प्रक्रिया
केंद्र सरकार ने इस मामले में 2021 की तर्ज पर अनुमति दी है। उस समय भी चमोली जिले के रैणी में आई आपदा में लापता लोगों का इसी प्रक्रिया से मृत्यु पंजीकरण (Death Certificate Dharali Tragedy) किया गया था। धराली आपदा के मामले में भी परिजनों को पहले लापता होने की औपचारिक शिकायत दर्ज करनी होगी। इसके बाद 30 दिन का नोटिस जारी किया जाएगा और यदि इस दौरान कोई आपत्ति दर्ज नहीं होती है, तो मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा।
परिजनों को मिलेगी आर्थिक मदद
मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के बाद राज्य सरकार प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएगी। आपदा के बाद से परिजन लगातार उम्मीद लगाए बैठे थे कि शायद उनका कोई अपना जीवित मिल जाए, लेकिन अब आधिकारिक तौर पर इन्हें मृत (Death Certificate Dharali Tragedy) मानने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
51 दिन बाद मिला निर्णय
धराली हादसे को 51 दिन से अधिक हो चुके हैं। इस दौरान स्थानीय प्रशासन और राहत दलों ने खोजबीन की, लेकिन भारी मलबे और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण सफलता नहीं मिल सकी। अब केंद्र की अनुमति के बाद राज्य सरकार ने इन लापता लोगों को मृत मानते हुए आगे की कार्रवाई तेज कर दी है।
धराली आपदा ने न केवल एक गांव को उजाड़ दिया, बल्कि सैकड़ों परिवारों को असहनीय पीड़ा भी दी है। अब मृत प्रमाण पत्र जारी होने से परिजनों को भले ही अपने अपनों की वापसी न मिल सके, लेकिन कम से कम राहत सहायता से उनके जीवनयापन में कुछ सहारा जरूर मिलेगा।