सीजी भास्कर, 01 अक्टूबर। कल शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि है। इसके बाद 2 अक्टूबर को दशमी तिथि पर मां दुर्गा भक्तों से विदा ले लेंगी। इस दिन को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशमी को मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। इस बार मां दुर्गा का आगमन गज हाथी पर सवार होकर हुआ था, जो शक्ति, समृद्धि और साहस का प्रतीक है। वहीं, दशमी तिथि को मां दुर्गा डोली में बैठकर प्रस्थान करेंगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार (Shardiya Navratri 2025), नवरात्र में देवी का डोली या पालकी पर सवार होकर प्रस्थान होना शुभ संकेत माना जाता है। इससे जीवन में सुख-शांति में वृद्धि होती है।
मां की विदाई पर श्लोक
माता दुर्गा के आगमन और प्रस्थान का वाहन केवल एक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उनके प्रभाव और हमारे जीवन पर पड़ने वाले फल का संकेत भी देता है। देवी पुराण में भी एक श्लोक के माध्यम से इसका वर्णन किया गया है।
श्लोक:
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
इस श्लोक का अर्थ है कि (Shardiya Navratri 2025) नवरात्र के अंतिम दिन मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं, इसका समाज और पर्यावरण पर बड़ा असर होता है।
रविवार या सोमवार (सूर्य/चंद्र दिन): यदि माता महिष (भैंसे) पर सवार होती हैं तो यह रोग और शोक में वृद्धि का संकेत है।
शनिवार या मंगलवार: इन दिनों मोर पर सवार होकर जाने से दुख, कष्ट और बाधाओं में वृद्धि मानी जाती है।
बुधवार और शुक्रवार: इन दिनों गजवाहन (हाथी) पर प्रस्थान करना शक्ति, समृद्धि और कृषि के लिए शुभ संकेत माना जाता है।
गुरुवार: इस दिन मां दुर्गा यदि डोली या पालकी (नरवाहन) पर प्रस्थान करती हैं तो यह सबसे शुभ माना जाता है। इससे समाज में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इसे “शुभ सौख्य” कहा गया है।
इस बार दशमी को देवी मां डोली में बैठकर विदा लेंगी। धार्मिक मान्यता है कि (Shardiya Navratri 2025) डोली से प्रस्थान करना देश और समाज के लिए अत्यंत कल्याणकारी होता है