सीजी भास्कर, 01 अक्टूबर। एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट से बड़ा खुलासा हुआ है। आमतौर पर यह माना जाता है कि देर रात या तड़के नींद की झपकी के कारण दुर्घटनाएं सबसे अधिक होती हैं, लेकिन आंकड़े कुछ और कहते हैं। वर्ष 2023 में सड़क दुर्घटनाओं (Road Accident Report) के विश्लेषण से सामने आया कि सबसे ज्यादा हादसे शाम छह से रात नौ बजे के बीच हुए। यह कुल सड़क दुर्घटनाओं का 20.7 प्रतिशत है।
दोपहर तीन से शाम छह बजे तक 17.3 प्रतिशत (80,482 मामले) और दोपहर 12 से तीन बजे तक 15 प्रतिशत (69,397 मामले) हादसे दर्ज किए गए। वर्ष 2023 में कुल 1.73 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई और 4,47,969 लोग घायल हुए। इनमें से 45.8 प्रतिशत पीड़ित दोपहिया वाहनों (Road Accident Report) पर सवार थे।
रिपोर्ट में बताया गया कि सबसे ज्यादा घातक हादसे (Road Accident Report) दोपहिया वाहनों से हुए। इनमें 79,533 लोगों की जान गई, जो कुल मौतों का 45.8 प्रतिशत है। तमिलनाडु में 11,490 और उत्तर प्रदेश में 8,370 मौतें दर्ज हुईं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि तेज गति से वाहन चलाने की वजह से 58.6 प्रतिशत (1,01,841 मौतें) और खतरनाक ड्राइविंग या ओवरटेकिंग के कारण 23.6 प्रतिशत (41,035 मौतें) जानें गईं।
रेल दुर्घटनाओं में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि
वर्ष 2023 में रेल दुर्घटनाओं (Train Accident Report) के 24,678 मामले सामने आए, जबकि 2022 में यह संख्या 23,139 थी। इसमें 3,014 लोग घायल हुए और 21,803 की मौत हुई। सबसे अधिक मौतें महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में दर्ज हुईं। रिपोर्ट के मुताबिक 56 रेल हादसे चालक की गलती से हुए जबकि 43 घटनाओं का कारण खराब ट्रैक, पुल या सुरंग जैसी संरचनात्मक खामियां रहीं।