सीजी भास्कर 5 अक्टूबर Salary Growth India 2025 की हालिया सरकारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पिछले सात सालों में कर्मचारियों की औसत मासिक सैलरी ₹16,538 से बढ़कर ₹21,103 हो गई है। यानी कुल बढ़ोतरी मात्र ₹4,565, जो 27.6% के आसपास है। दिहाड़ी मजदूरों की रोज़ाना कमाई ₹294 से बढ़कर ₹433 हो गई है। बढ़ोतरी प्रतिशत ठीक लगती है, लेकिन महंगाई के बढ़ते दबाव ने इसका असर आम आदमी की जेब पर लगभग नगण्य कर दिया है।
बेरोजगारी दर में गिरावट, लेकिन सैलरी कम असरदार
Salary Growth India 2025 के अनुसार, देश में बेरोजगारी दर 2017-18 में 6% थी, जो अब घटकर 3.2% हो गई है। युवाओं की बेरोजगारी 17.8% से घटकर 10.2% हुई है। पुरुषों की बेरोजगारी अगस्त 2025 तक 5% तक आ गई है। हालांकि नौकरी मिल रही है, लेकिन सवाल यह है कि क्या मिलने वाली सैलरी बढ़ती जरूरतों और महंगाई के मुकाबले पर्याप्त है?
EPFO आंकड़ों में रोजगार की बढ़त
Salary Growth India 2025 में यह भी सामने आया कि वित्त वर्ष 2024-25 में EPFO में 1.29 करोड़ नए सदस्य जुड़े। सितंबर 2017 से अब तक कुल 7.73 करोड़ नए सब्सक्राइबर जुड़े हैं। जुलाई 2025 में ही 21.04 लाख नए सदस्य शामिल हुए, जिनमें 60% से ज्यादा 18-25 साल के युवा हैं। इससे पता चलता है कि नौकरी के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा के प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है।
स्वरोजगार की तरफ बढ़ते रुझान
Salary Growth India 2025 की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि अब अधिक लोग स्वरोजगार और छोटे व्यवसाय की ओर रुख कर रहे हैं। 2017-18 में स्वरोजगार करने वालों का हिस्सा 52.2% था, जो अब बढ़कर 58.4% हो गया है। वहीं, कैजुअल लेबर की संख्या घटकर 19.8% रह गई है। इसका मतलब यह है कि स्थिर नौकरी की कमी के कारण लोग अपने काम की शुरुआत कर रहे हैं।
Salary Growth India 2025 रिपोर्ट साफ़ करती है कि नौकरियों में वृद्धि और बेरोजगारी में कमी के बावजूद, आम भारतीय की जेब पर वास्तविक असर कम है। महंगाई और बढ़ती जीवनशैली के चलते आमदनी में यह मामूली बढ़ोतरी केवल आँकड़ों में दिखाई देती है, जबकि वास्तविक जिंदगी में चुनौतियाँ अभी भी बरकरार हैं।