सीजी भास्कर, 7 अक्टूबर। रायपुर के व्यवसायी हेमंत चंद्राकर द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ED Harassment Allegation) के खिलाफ लगाए गए प्रताड़ना के आरोपों पर हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि पूछताछ कानून के मुताबिक होनी चाहिए और ईडी किसी भी तरह का दबाव या थर्ड डिग्री का प्रयोग नहीं कर सकती। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता को किसी अधिकारी के आचरण पर शिकायत है तो वह मजिस्ट्रेट के सामने जा सकता है।
चंद्राकर, जो सृष्टि आर्गेनिक्स नामक खाद-कीटनाशक निर्माण इकाई के मालिक हैं, ने बताया कि वे 2008 से व्यापार कर रहे हैं और सरकारी विभागों को सामान आपूर्ति करते हैं। 3 सितंबर 2025 को उनके घर पर ईडी ने छापा मारा। आरोप है कि इस दौरान अधिकारियों ने सीसीटीवी कैमरे बंद कराए और उनसे यह बयान लेने का दबाव बनाया गया कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके करीबी लोगों को कमीशन देकर ठेके हासिल किए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि 10 सितंबर को उन्हें समन पर ईडी दफ्तर बुलाया गया, जहां देर रात तक पूछताछ चली। इसके बाद 29 सितंबर को दोबारा पूछताछ हुई, जहां कथित तौर पर उन्हें लोहे की रॉड जैसी वस्तु से मारा गया। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ईडी के डिप्टी डायरेक्टर नीरज कुमार सिंह ने धमकाया कि यदि वे मनचाहा बयान नहीं देंगे तो उनकी बेटी को कभी उनका चेहरा देखने नहीं दिया जाएगा। यह गंभीर आरोप (ED Harassment Allegation) अब पूरे राज्य में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं।