सीजी भास्कर, 8 अक्टूबर। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायपुर के डॉक्टरों ने एक बार फिर चिकित्सा जगत में कमाल कर दिखाया है। डॉक्टरों ने 35 वर्षीय युवक के हृदय से चिपकी कैंसरग्रस्त गाँठ (Rare Cancer Surgery Case) की सफल सर्जरी कर उसे नई ज़िंदगी दी है। यह गाँठ 11×7 सेंटीमीटर की थी, जो हृदय की बड़ी रक्त नलियों से जुड़ी हुई थी। मरीज को थाइमस ग्रंथि से उत्पन्न होने वाला दुर्लभ और आक्रामक कैंसर — इंवेसिव कार्सिनोमा ऑफ थाइमस (Invasive carcinoma of thymus) था।
कैंसर सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. आशुतोष गुप्ता और हार्ट सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में पाँच घंटे तक चले इस जटिल ऑपरेशन (Rare Cancer Surgery Case) में डॉक्टरों की टीम ने हार्ट और फेफड़े से चिपकी गाँठ को सफलतापूर्वक हटा दिया। डॉक्टरों के अनुसार, यह सेंट्रल इंडिया का पहला सफल केस है जिसमें हृदय के पास से इतनी बड़ी थाइमस कैंसर गाँठ को सुरक्षित रूप से निकाला गया।
हार्ट की बड़ी नसों से जुड़ी थी गाँठ
डॉ. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि गाँठ हृदय की प्रमुख रक्त नलिकाओं (Rare Cancer Surgery Case) — एओर्टा, जुगलर वेन और सुपीरियर वेना केवा — से गहराई तक जुड़ी हुई थी, जिससे सर्जरी अत्यंत चुनौतीपूर्ण थी। पैथोलॉजी रिपोर्ट में इसे इंवेसिव कार्सिनोमा ऑफ थाइमस बताया गया, जो कि अत्यंत दुर्लभ प्रकार का कैंसर है।
अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने इस सर्जरी को अम्बेडकर अस्पताल की बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि यह अस्पताल की कैंसर सर्जरी (ऑंकोसर्जरी) और कार्डियक सर्जरी टीम की समन्वित दक्षता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
कैंसर सर्जरी और हार्ट सर्जरी विभाग का संयुक्त ऑपरेशन
ओडिशा निवासी 35 वर्षीय मरीज सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचे थे। जांच में हृदय के सामने स्थित छाती के क्षेत्र एंटीरियर मेडियास्टिनम (Rare Cancer Surgery Case) में 11×7 सेंटीमीटर की गाँठ पाई गई। बायोप्सी रिपोर्ट में थाइमोमा की पुष्टि हुई। डॉक्टरों ने परामर्श के बाद ऑपरेशन का निर्णय लिया।
ऑपरेशन के दौरान मेडियन स्टर्नोटॉमी (Median Sternotomy) शल्य प्रक्रिया के ज़रिए छाती की हड्डी को काटकर हृदय तक पहुंच बनाई गई। गाँठ हृदय की सतह पेरिकार्डियम (Pericardium) और रक्त वाहिकाओं से गहराई तक चिपकी हुई थी। लगभग पाँच घंटे चली इस प्रक्रिया में डॉक्टरों ने बड़ी सावधानी से रक्त वाहिकाओं को गाँठ से अलग किया और दाएँ फेफड़े के कुछ हिस्से सहित उसे पूरी तरह निकाल दिया।
सफल ऑपरेशन के बाद मरीज सुरक्षित, अस्पताल को नई पहचान
सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति स्थिर है और वह तेजी से स्वस्थ हो रहा है। पैथोलॉजी जांच में गाँठ को इंवेसिव कार्सिनोमा ऑफ थाइमस (Rare Cancer Surgery Case) बताया गया। डॉ. के.के. साहू ने बताया कि यह सर्जरी इसलिए विशेष रही क्योंकि सामान्यतः यह कैंसर देर से पकड़ा जाता है, और तब तक ऑपरेशन संभव नहीं रह पाता। ऐसी सर्जरी हर अस्पताल में नहीं हो सकती, क्योंकि इसमें कैंसर और हृदय दोनों के विशेषज्ञों की टीम की जरूरत होती है।
इस जटिल सर्जरी में डॉ. आशुतोष गुप्ता, डॉ. के.के. साहू, डॉ. किशन सोनी, डॉ. गुंजन अग्रवाल, डॉ. सुश्रुत अग्रवाल, डॉ. लावण्या, डॉ. समृद्ध, डॉ. सोनम, डॉ. अनिल, तथा निश्चेतना विभाग से डॉ. रचना और डॉ. अविनाश की भूमिका अहम रही। अस्पताल प्रशासन ने इस सफलता को प्रदेश के लिए गर्व का विषय बताया है और कहा है कि अब छत्तीसगढ़ में कैंसर सर्जरी (Rare Cancer Surgery Case) के लिए मरीजों को बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।