सीजी भास्कर, 13 अक्टूबर। भारत और कनाडा के रिश्तों में ठंडे दौर के बाद अब एक नई शुरुआत (India-Canada Relations) होती दिख रही है। शनिवार दोपहर दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद के बीच हुई बैठक में दोनों देशों ने विश्वास, व्यापार और रणनीतिक सहयोग को नए सिरे से आगे बढ़ाने का संकल्प जताया। मुलाकात के दौरान माहौल औपचारिक होने के साथ-साथ सकारात्मक उम्मीदों से भरा रहा।
विदेश मंत्री जयशंकर ने स्पष्ट कहा कि भारत अब रिश्तों को पुनर्जीवित करने और रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। उन्होंने याद दिलाया कि कुछ ही समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री डेविड कार्नी के बीच कनानास्किस में हुई मुलाकात में इसी भावना के साथ बातचीत हुई थी। जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच भरोसे की नींव पर संबंधों को फिर से खड़ा करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
अनीता आनंद ने आज सुबह प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात की थी। जयशंकर ने इसका उल्लेख करते हुए बताया कि कनाडाई मंत्री ने सीधे प्रधानमंत्री से सहयोग बढ़ाने की दिशा पर चर्चा की है। उन्होंने कहा कि बीते एक महीने में भारत और कनाडा के बीच कई स्तरों पर संवाद हुआ है। 18 सितंबर को दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक (India-Canada Relations) नई दिल्ली में हुई थी, 19 सितंबर को विदेश मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारियों ने द्विपक्षीय समीक्षा की और 11 अक्टूबर को दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रियों की मुलाकात में आर्थिक साझेदारी को नया आयाम देने पर सहमति बनी थी।
भारत की ओर से कहा गया कि कनाडा हमारे लिए एक पूरक अर्थव्यवस्था है और दोनों देशों के बीच विविधता तथा बहुलवाद जैसी साझा ताकतें हैं। बैठक में एक महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार किया गया, जिसमें व्यापार, निवेश, कृषि, विज्ञान-तकनीक, सिविल न्यूक्लियर सहयोग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्रिटिकल मिनरल्स और ऊर्जा जैसे अहम क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने की रूपरेखा तय की गई।
जयशंकर ने यह भी बताया कि दोनों देशों के उच्चायुक्त अब सक्रिय रूप से काम संभाल चुके हैं और बैठक में मौजूद (India-Canada Relations) रहे। उन्होंने कहा कि भारत और कनाडा दोनों ही G20 और कॉमनवेल्थ के सदस्य हैं और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उनकी सोच काफी हद तक एक जैसी है। उन्होंने कहा कि इस नई शुरुआत से न सिर्फ दोनों देशों के बीच आपसी भरोसा बहाल होगा, बल्कि वैश्विक मंचों पर सहयोग की नई संभावनाएं भी खुलेंगी।