सीजी भास्कर, 14 अक्टूबर | छत्तीसगढ़ में (Chhattisgarh Mukti Dham High Court Order) को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है। प्रदेश के अधिकांश मुक्तिधामों की बदहाली को देखते हुए हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य के सभी 33 जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के मुक्तिधामों की तस्वीरों के साथ विस्तृत रिपोर्ट 8 दिसंबर 2025 तक प्रस्तुत करें।
निरीक्षण के बाद भड़के चीफ जस्टिस, बोले – अंतिम संस्कार भी सम्मान के साथ होना चाहिए
बिल्हा के एक मुक्तिधाम का निरीक्षण करने पहुंचे चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ने वहां की गंदगी और अव्यवस्था देख गहरी नाराज़गी जताई। अदालत ने टिप्पणी की कि गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार (Dignified Funeral) संविधान के तहत जीवन के अधिकार का हिस्सा है, और यह राज्य का दायित्व है कि हर मुक्तिधाम में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों।
केवल निर्देश नहीं, ज़मीनी सुधार जरूरी – कोर्ट की फटकार
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि केवल आदेश जारी करना पर्याप्त नहीं है। सरकार और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर जिले में जारी दिशा-निर्देशों का अक्षरशः पालन हो। कोर्ट ने कहा कि ( High Court Compliance Report) सिर्फ कागज़ी नहीं, वास्तविक सुधारों को दिखाए।
(Chhattisgarh Mukti Dham High Court Order)मुख्य सचिव को दी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी
कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वे इस पूरे अभियान की मॉनिटरिंग करें और हर जिले की (Focus Keyphrase: Mukti Dham Status Update) रिपोर्ट का सत्यापन करें। मुख्य सचिव ने अदालत को बताया कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 6 अक्टूबर और नगरीय प्रशासन विभाग ने 8 अक्टूबर को राज्यभर में मुक्तिधामों की देखरेख को लेकर नई गाइडलाइन जारी की हैं।
बिल्हा और रहंगी मुक्तिधाम बने केंद्रबिंदु
यह मामला तब गंभीर रूप से सामने आया जब 29 सितंबर को चीफ जस्टिस सिन्हा खुद बिल्हा और रहंगी क्षेत्र के मुक्तिधाम पहुंचे। यहां उन्होंने बदहाली देख खुद संज्ञान लिया। उन्होंने पाया कि मुक्तिधाम में न तो पानी की व्यवस्था थी, न बैठने की जगह, और न ही सड़क से कोई ठीक रास्ता मौजूद था।
बिलासपुर कलेक्टर ने अदालत को बताया कि (Focus Keyphrase: Bilaspur Collector Affidavit) में सुधार कार्य तुरंत शुरू किए गए हैं – प्रतीक्षालय तैयार किया गया है, पीने के पानी की व्यवस्था की गई है, और सीसी रोड निर्माण के लिए 10 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है।
सरकार की नई गाइडलाइन, पर लागू करना चुनौती
राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन में साफ-सफाई, बाउंड्री फेंसिंग, बिजली, पानी, शेड की मरम्मत और पुरुष-महिला के लिए अलग शौचालय जैसी सुविधाओं का उल्लेख है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह सराहनीय कदम है, लेकिन अभी कई जिलों में इसका पालन नहीं हो रहा। इसलिए कोर्ट ने सभी कलेक्टरों से (Focus Keyphrase: Photographic Compliance Report) पेश करने को कहा है।
8 दिसंबर तक रिपोर्ट अनिवार्य
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई से पहले प्रत्येक जिले के मुक्तिधामों की ताज़ा तस्वीरों के साथ विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में जमा करनी होगी। इसके बाद ही अदालत राज्य सरकार की जिम्मेदारी और भविष्य की कार्ययोजना पर निर्णय लेगी।