सीजी भास्कर, 14 अक्टूबर। जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड के ग्राम बुढाडांड की रहने वाली प्रीति गुप्ता ने यह साबित कर दिया कि आत्मविश्वास और मेहनत से कोई भी सपना हकीकत बन सकता है। उन्होंने (PM Mudra Loan Success Story) के तहत 1 लाख रुपए का मुद्रा लोन लेकर अपने छोटे से व्यवसाय की शुरुआत की और आज “लखपति दीदी” के रूप में पहचान बना चुकी हैं।
लक्ष्मी स्व-सहायता समूह से मिली सफलता की राह
लक्ष्मी स्व-सहायता समूह से जुड़ी प्रीति ने बताया कि जब उन्हें मुद्रा लोन की सहायता मिली, तब उन्होंने “दुर्गा श्रृंगार और किराना दुकान” की नींव रखी। शुरुआत में वह छोटे स्तर पर कार्य कर रही थीं, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने ग्राहकों की जरूरतों को समझकर दुकान का विस्तार किया। आज उनकी दुकान गांव की प्रमुख दुकानों में शुमार है, जहां (PM Mudra Loan Success Story) के जरिये सौंदर्य प्रसाधन से लेकर हर घरेलू जरूरत का सामान उपलब्ध है। प्रीति कहती हैं “मुद्रा लोन ने मेरे सपनों को नया रास्ता दिया। अब मैं अपनी मेहनत से सालाना लगभग 2.50 लाख रुपये तक की आमदनी कर रही हूँ।” उन्होंने बताया कि इस उपलब्धि के पीछे उनका आत्मविश्वास, परिश्रम और बिहान योजना का सहयोग है।
अब अन्य महिलाओं को दे रहीं प्रेरणा
प्रीति गुप्ता ने बताया कि पहले वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं थीं, लेकिन (PM Mudra Loan Success Story) ने उन्हें आत्मविश्वास दिया। उन्होंने कहा कि आज मैं खुद अपने परिवार की जिम्मेदारी संभाल रही हूँ और अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रही हूं। अब प्रीति की दुकान “बुढाडांड” गांव की आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बन चुकी है। ग्रामीण महिलाएं अक्सर उनसे व्यापार और स्वयं सहायता समूहों में जुड़ने की सलाह लेती हैं।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार की बड़ी पहल
प्रीति ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला सशक्तिकरण प्रयासों से आज ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। उन्होंने कहा कि बिहान योजना और मुद्रा लोन ने मुझे अपने पैरों पर खड़ा होने का अवसर दिया। उनकी यह (PM Mudra Loan Success Story) अब पूरे जिले में महिला उद्यमियों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी है। प्रीति गुप्ता जैसी महिलाओं की सफलता की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सरकारी योजनाएं तभी प्रभावी होती हैं, जब उनमें जनता की मेहनत और विश्वास जुड़ जाता है। अब उनका लक्ष्य है कि वे अन्य गांवों की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने में मदद करें।