सीजी भास्कर, 21 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली (Raipur Police Commissioner System) लागू करने की तैयारी अब निर्णायक चरण में है। गृह विभाग ने इस संबंध में लगभग सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। माना जा रहा है कि दिवाली के बाद होने वाली कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लग जाएगी। अगर सब कुछ तय समय पर हुआ तो एक नवंबर से रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो सकती है।
गृह विभाग ने कुछ समय पहले पुलिस मुख्यालय (PHQ) से प्रतिवेदन मांगा था। इसके बाद एडीजी प्रदीप गुप्ता की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया। इस समिति में आईजी अजय यादव, आईजी अमरेश मिश्रा, डीआईजी ओपी पाल, एसपी अभिषेक मीणा और एसपी संतोष सिंह सदस्य थे।
समिति ने अलग-अलग राज्यों की पुलिस कमिश्नर प्रणाली (Raipur Police Commissioner System) का अध्ययन कर अपना प्रतिवेदन गृह विभाग को सौंप दिया है। अब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और कैबिनेट इस रिपोर्ट पर अंतिम फैसला लेंगे।
चार IPS अधिकारी रेस में, APC के लिए भी चार दावेदार
सूत्रों के अनुसार रायपुर पुलिस कमिश्नर बनने की रेस में चार सीनियर आईपीएस अधिकारी शामिल हैं। वहीं, एडिशनल पुलिस कमिश्नर (APC) के लिए भी चार दावेदारों के नाम चर्चा में हैं। समिति की सिफारिश पर गृह विभाग ने शीर्ष पद के लिए तीन विकल्प तैयार किए हैं—पहला विकल्प एडीजी रैंक, दूसरा आईजी रैंक और तीसरा डीआईजी रैंक के अधिकारी को कमिश्नर नियुक्त करना है।
प्रारंभिक प्रस्ताव के अनुसार, कमिश्नर से लेकर थाना प्रभारी (टीआई) तक लगभग 60 से अधिक अधिकारी नई व्यवस्था में कार्य करेंगे। शीर्ष पद के चयन के बाद ही संयुक्त कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर और एसीपी की संख्या तय की जाएगी।
चार राज्यों से ली गई प्रेरणा
समिति ने महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों की पुलिस कमिश्नरी प्रणाली (Raipur Police Commissioner System) का गहन अध्ययन किया है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि इन राज्यों की व्यवस्था को छत्तीसगढ़ की आवश्यकताओं के अनुरूप ढालते हुए लागू किया जाए।
कमिश्नर प्रणाली से बढ़ेगी पुलिस की ताकत
इस प्रणाली के लागू होने के बाद पुलिस कमिश्नर को कलेक्टर जैसी कुछ कार्यकारी शक्तियां मिलेंगी। वे मजिस्ट्रेट की तरह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर सकेंगे। कानून व्यवस्था से संबंधित कई निर्णय वे तत्काल ले सकेंगे। इस प्रणाली से पुलिस को शांति भंग की आशंका में हिरासत, गुंडा एक्ट या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) जैसी धाराएं लगाने का अधिकार मिलेगा।
इसके अलावा, होटल, बार और हथियारों के लाइसेंस जारी करने, धरना-प्रदर्शन की अनुमति देने, दंगे में बल प्रयोग और जमीन विवाद सुलझाने जैसे निर्णय भी अब पुलिस स्तर पर लिए जा सकेंगे। इससे प्रशासनिक प्रक्रिया और तेज होगी, और कानून-व्यवस्था पर नियंत्रण मजबूत होगा।