FMCG Price Reform : सरकार के हालिया GST रिफॉर्म (GST Reform) के बाद देश के FMCG सेक्टर में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। अब ₹2, ₹5, ₹10 और ₹20 जैसे पारंपरिक दामों पर उपभोक्ताओं को पहले से ज्यादा मात्रा में सामान मिलने जा रहा है। दरअसल, कंपनियां अब अपने पैक का वजन बढ़ाकर पुराने रेट पर ही प्रोडक्ट बेचने की तैयारी में हैं। इससे ग्राहकों को राहत के साथ-साथ दुकानदारों के लिए भी लेन-देन आसान होगा।
GST कटौती के बाद कंपनियों की उलझनें
सितंबर में लागू हुई GST दरों में कमी के बाद कई ब्रांड्स को अपने प्राइस टैग्स में फेरबदल करना पड़ा। लेकिन ( focus keyphrase: GST Rate Cut Impact ) इस बदलाव से उलझनें भी बढ़ीं — क्योंकि सरकार की तरफ से यह स्पष्ट नहीं था कि कंपनियां घटे टैक्स की भरपाई वजन बढ़ाकर कर सकती हैं या नहीं। नतीजा यह हुआ कि कई उत्पादों की कीमतें 4.45 रुपये या 88 पैसे जैसी ‘अजीब’ दरों पर पहुंच गईं। दुकानदारों को छुट्टे पैसे देने में दिक्कत होने लगी, और ग्राहक असहज महसूस करने लगे।
सरकार के निर्देश से टूटी अनिश्चितता
अब केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया है कि अगर कोई कंपनी पुराने दाम पर अधिक वजन वाले पैक पेश करती है, तो यह GST कानून का उल्लंघन (GST Rules Clarification) नहीं माना जाएगा। इसके बाद कई बड़ी FMCG कंपनियों ने तुरंत पुराने रेट सिस्टम पर लौटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बाजार में पारदर्शिता और स्थिरता दोनों बढ़ेंगी।
कंपनियों की नई रणनीति – ज्यादा वजन, वही कीमत
जानकारी के मुताबिक, प्रमुख FMCG ब्रांड्स अब अपने उत्पादों में लगभग 10 से 12 प्रतिशत तक वजन बढ़ा रहे हैं। बिस्कुट, स्नैक्स और बेवरेज सेगमेंट में यह बदलाव पहले ही लागू होना शुरू हो गया है। स्नैक्स कंपनियों के लिए यह अपेक्षाकृत आसान रहा क्योंकि उनके पैकिंग फॉर्मेट में ज्यादा बदलाव की ज़रूरत नहीं पड़ी। इससे न सिर्फ ग्राहक को “वैल्यू फॉर मनी” ( FMCG Consumer Benefit ) का एहसास होगा, बल्कि बिक्री में भी सुधार आने की उम्मीद है।
कुछ कंपनियां अब भी सावधानी में
हालांकि, कुछ डेयरी और फूड ब्रांड्स ने इस बदलाव को तुरंत लागू करने से परहेज़ किया है। उनका कहना है कि वे किसी औपचारिक सरकारी आदेश का इंतजार कर रहे हैं। उद्योग से जुड़े जानकारों का मानना है कि सभी ब्रांड्स एक साथ इस नई नीति को अपनाएंगे तो उपभोक्ताओं को एकसमान अनुभव मिलेगा।
पुराना फॉर्मूला, नया असर
बीते कुछ वर्षों में जब महंगाई बढ़ी, तब कंपनियों ने ₹5 या ₹10 की प्राइस स्लैब को बनाए रखने के लिए वजन घटाया था। अब वही कंपनियां उपभोक्ताओं को फिर से उसी रेट पर ज्यादा प्रोडक्ट देकर भरोसा जीतना चाहती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव छोटे शहरों और ग्रामीण बाजारों में सबसे ज्यादा असर डालेगा, जहां पारंपरिक दामों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव सबसे गहरा होता है।