सीजी भास्कर, 24 अक्टूबर। भारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI Payment System Report) की ताज़ा भुगतान प्रणाली रिपोर्ट के अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2024 में मात्रा के लिहाज से 99.7 प्रतिशत लेनदेन डिजिटल माध्यमों से किए गए, जबकि मूल्य के हिसाब से इनकी हिस्सेदारी 97.5 प्रतिशत तक पहुँच गई। यह प्रवृत्ति 2025 की पहली छमाही में भी कायम रही, जो बताती है कि देश में डिजिटल भुगतान अब लगभग सर्वव्यापी हो चुका है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय विस्तार किया है। डिजिटल माध्यमों में यूपीआई (UPI), एनईएफटी (NEFT), आईएमपीएस (IMPS), आरटीजीएस (RTGS), एनएसीएच (NACH), डेबिट/क्रेडिट कार्ड और प्रीपेड पेमेंट सिस्टम (PPI) शामिल हैं।
आरबीआई के मुताबिक, कागज आधारित भुगतान प्रणाली, विशेष रूप से चेक, अब भी अस्तित्व में है लेकिन इसका योगदान नगण्य रह गया है। मूल्य के लिहाज से कुल लेनदेन में चेक (RBI Payment System Report) का हिस्सा अब सिर्फ 2.3 प्रतिशत रह गया है। वर्ष 2019 में जहां मात्रा के हिसाब से डिजिटल भुगतान की हिस्सेदारी 96.7 प्रतिशत थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर 99.7 प्रतिशत हो गई। इसी अवधि में मूल्य के आधार पर डिजिटल हिस्सेदारी 95.5 प्रतिशत से बढ़कर 97.5 प्रतिशत दर्ज की गई।
भुगतान मात्रा की बात करें तो 2019 में जहां देशभर में 3,248 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे, वहीं 2024 में यह बढ़कर 20,849 करोड़ तक पहुँच गए। मूल्य के लिहाज से यह वृद्धि 1,775 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2,830 लाख करोड़ रुपये तक दर्ज की गई।
यूपीआई सबसे आगे, आरटीजीएस में सबसे ज्यादा वैल्यू
2025 की पहली छमाही में यूपीआई का दबदबा जारी रहा। रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में कुल डिजिटल लेनदेन में मात्रा के आधार पर यूपीआई (RBI Payment System Report) की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत रही, जबकि मूल्य के हिसाब से यह लगभग 9 प्रतिशत रही। वहीं, आरटीजीएस प्रणाली, जो बड़े मूल्य वाले लेनदेन के लिए प्रयोग होती है, ने मूल्य के लिहाज से 69 प्रतिशत योगदान दिया, लेकिन इसकी मात्रा सिर्फ 0.1 प्रतिशत रही।
आरटीजीएस और एनईएफटी में निरंतर वृद्धि
कैलेंडर वर्ष 2019 में आरटीजीएस के 14.8 करोड़ लेनदेन दर्ज किए गए थे, जो 2024 में बढ़कर 29.5 करोड़ हो गए। इसी अवधि में आरटीजीएस के जरिये लेनदेन का कुल मूल्य 1,388.7 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 1,938.2 लाख करोड़ रुपये हो गया।
वर्ष 2025 की पहली छमाही में ही आरटीजीएस ने 16.1 करोड़ लेनदेन में 1,079.2 लाख करोड़ रुपये की राशि का प्रसंस्करण किया।
एनईएफटी (NEFT) ने भी तेज़ी से विस्तार दर्ज किया — वर्ष 2019 से 2024 के बीच इसकी मात्रा तीन गुना से अधिक बढ़कर 262.2 करोड़ से 926.8 करोड़ हो गई, जबकि मूल्य के हिसाब से यह 232.9 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 432.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीआई जहां छोटे मूल्य के उच्च मात्रा वाले लेनदेन में अग्रणी है, वहीं आरटीजीएस प्रणाली बड़े मूल्य के सीमित लेनदेन में सबसे आगे है। यह संतुलन भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था की विविधता और उसकी समावेशिता दोनों को दर्शाता है।
