रायपुर । CG Legislative Assembly New Building : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को छत्तीसगढ़ के नवनिर्मित विधानसभा भवन का लोकार्पण किया। यह भवन केवल प्रशासनिक केंद्र नहीं, बल्कि राज्य की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और आस्था का प्रतीक भी है। ‘धान का कटोरा’ कहलाने वाले छत्तीसगढ़ की पहचान को भवन की वास्तुकला में खूबसूरती से समाहित किया गया है।
परंपरा और आधुनिकता का संगम
सदन की छत पर उकेरी गई धान की बालियाँ और पत्तियाँ प्रदेश की कृषि-प्रधान संस्कृति का प्रतीक हैं। भवन के ज्यादातर दरवाजे और फर्नीचर बस्तर के पारंपरिक काष्ठ शिल्पियों द्वारा तैयार किए गए हैं। इस तरह नया विधानसभा भवन आधुनिक तकनीक और पारंपरिक शिल्प का जीवंत मिश्रण बन गया है।
भविष्य की जरूरतों के अनुसार डिज़ाइन
यह भवन पूरी तरह सर्वसुविधायुक्त है और इसे 200 सदस्यों के बैठने के लिए विस्तारित किया जा सकता है। पेपरलेस विधानसभा संचालन के लिए आवश्यक तकनीकी सुविधाओं का समावेश इसे ‘स्मार्ट विधानसभा’ के रूप में स्थापित करता है।
51 एकड़ परिसर और 324 करोड़ की लागत
संभवतः 51 एकड़ में फैले इस परिसर का निर्माण 324 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है। भवन को तीन मुख्य हिस्सों—विंग-ए, विंग-बी और विंग-सी—में विभाजित किया गया है। विंग-ए में सचिवालय, विंग-बी में सदन और सेंट्रल हॉल तथा मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय, और विंग-सी में मंत्रियों के कार्यालय स्थित हैं।
पर्यावरण के अनुकूल और हरित तकनीक
भवन को पूरी तरह पर्यावरण अनुकूल तकनीक से बनाया गया है। परिसर में सोलर प्लांट की स्थापना के साथ वर्षा जल संचयन हेतु दो सरोवर भी बनाए गए हैं। भवन में पर्यावरण-संरक्षण के सभी मानकों का पालन किया गया है।
अत्याधुनिक ऑडिटोरियम और सेंट्रल हॉल
भवन में 500 दर्शक क्षमता वाला ऑडिटोरियम और 100 सीटर सेंट्रल हॉल बनाया गया है। यह आधुनिकता और पारंपरिक शैली का उत्कृष्ट मेल प्रस्तुत करता है, जहां भविष्य की विधानसभा बैठकों के लिए सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
तीन करोड़ नागरिकों की आकांक्षा का प्रतीक
छत्तीसगढ़ की संस्कृति और शिल्प से सजा यह भवन राज्य के तीन करोड़ नागरिकों की उम्मीदों, आकांक्षाओं और आत्मगौरव का प्रतीक है। यह लोकतंत्र का ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की पहचान, प्रगति और परंपरा का भी महत्वपूर्ण चिन्ह बनेगा।
