सीजी भास्कर, 4 नवंबर | छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के धमधा क्षेत्र में किसानों के साथ हुई (FIR Bribery Case) ने पूरे पुलिस प्रशासन को हिला दिया है। किसानों का आरोप है कि डेयरी लोन और सब्सिडी के नाम पर पहले लाखों की ठगी की गई, और जब वे शिकायत दर्ज कराने पहुंचे, तो थाना प्रभारी ने एफआईआर के लिए 52 हजार रुपये की मांग कर दी। इस मामले में अब आईजी रामगोपाल गर्ग ने संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं।
ठगी का खेल: डेयरी लोन योजना के नाम पर लूटी मेहनत की कमाई
धमधा और आसपास के गांवों में करीब 166 किसानों से (Dairy Loan Scam) के तहत लाखों रुपये वसूले गए। एजेंट्स ने दावा किया कि किसानों को पशुपालन विभाग की सरकारी योजना के तहत लोन और 40% सब्सिडी मिलेगी। मगर सच्चाई कुछ और ही थी—किसानों को असल में पर्सनल लोन दिलाया गया, और उन्हें यह जानकारी तक नहीं दी गई।
एजेंट्स ने किसानों को समझाया कि छह महीने तक किश्तें भरनी होंगी, उसके बाद 90% सब्सिडी मिलेगी। इस झांसे में आकर कई किसानों ने 5 से 10 लाख रुपये तक के लोन ले लिए।
एजेंट और बैंक कर्मचारी की मिलीभगत से हुआ (Fraud Case)
पीड़ित किसानों ने आरोप लगाया है कि एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी विकास सोनी और एजेंट मधु पटेल ने मिलकर पूरी ठगी रची। किसानों से सुरक्षा और बीमा शुल्क के नाम पर 50-50 हजार रुपये वसूले गए, साथ ही तीन-तीन ब्लैंक चेक भी लिए गए। बाद में इन्हीं चेकों से किसानों के खातों से रकम ट्रांसफर कर दी गई।
10 लाख रुपये के लोन में किसानों को सिर्फ 6-7 लाख ही मिले, जबकि बाकी रकम “प्रोसेसिंग” और “सिक्योरिटी अमाउंट” के नाम पर हड़प ली गई।
बैंक से आया नोटिस, खुला पूरा राज
कई महीनों तक सब सामान्य दिखता रहा, पर जैसे ही बैंक से रिकवरी नोटिस आए, किसानों के पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्हें तब पता चला कि जो लोन उन्हें सरकारी योजना का बताया गया था, वह असल में निजी ऋण (Personal Loan) था। इस खुलासे के बाद किसान पुलिस के पास शिकायत लेकर पहुंचे।
पुलिस पर गंभीर आरोप: FIR दर्ज करने के लिए मांगे 52 हजार रुपये
किसानों का आरोप है कि जब वे धमधा थाने में शिकायत लेकर पहुंचे, तो थाना प्रभारी ने कहा—“एफआईआर करनी है तो खर्चा लगेगा, 52 हजार रुपये लगेंगे।” मजबूरी में किसानों ने आपस में रकम इकट्ठी कर दी, लेकिन फिर भी मामला दर्ज नहीं किया गया।
सितंबर 2024 में उन्होंने एसपी और आईजी से शिकायत की, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। तब जाकर किसानों ने 3 नवंबर को आईजी रामगोपाल गर्ग से सीधे शिकायत की।
आईजी ने लिया संज्ञान, (Police Investigation) शुरू
आईजी गर्ग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी दुर्ग को तत्काल जांच के आदेश दिए। पुलगांव थाने में बैंक कर्मचारी विकास सोनी और एजेंट मधु पटेल के खिलाफ जीरो एफआईआर दर्ज की गई। वहीं, थाना प्रभारी पर रिश्वत लेने के आरोप की जांच के लिए एक विशेष समिति बनाई जा रही है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक झा ने कहा कि “मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से होगी, और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
किसानों की उम्मीद: न्याय और कार्रवाई
किसान अब आईजी के हस्तक्षेप के बाद न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं। उनका कहना है कि मेहनत की कमाई से ठगे गए पैसे और अपमान दोनों की भरपाई केवल सख्त कार्रवाई से ही संभव है।
