सीजी भास्कर, 4 नवंबर। छत्तीसगढ़ में एक ऐसा अनोखा और भावनाओं से भरा आयोजन देखने को मिला, जिसने सभी का दिल छू लिया। यहां करीब 82 वर्षीय बलदेव प्रसाद सोनी और उनकी 77 वर्षीय पत्नी बेचनी देवी ने अपनी 65वीं वैवाहिक वर्षगांठ (Golden Wedding Anniversary) को पारंपरिक शादी की तरह मनाया। ढोल-नगाड़ों, हल्दी रस्म और बारात के साथ यह समारोह किसी नई शादी से कम नहीं था। दोनों ने हाथों में लाठी लेकर एक-दूसरे को वरमाला पहनाई और फिर से अपने रिश्ते को नई शुरुआत दी।
अंबिकापुर शहर में आयोजित इस समारोह को देखकर हर कोई भावुक हो उठा। दूल्हा बने बलदेव प्रसाद सोनी ने पारंपरिक पोशाक धारण की और दुल्हन बनीं बेचनी देवी ने लाल साड़ी और गहनों में मुस्कुराते हुए जब सबका अभिवादन किया, तो माहौल खुशियों से भर गया। यह (Golden Wedding Anniversary) समारोह इसलिए भी खास था क्योंकि यह सिर्फ वर्षगांठ नहीं, बल्कि एक अधूरे सपने का पूरा होना था।
65 वर्ष पहले जब बलदेव और बेचनी की शादी हुई थी, तब घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। उस वक्त न बैंड था, न बारात की धूम। लेकिन अब, बेटों और बेटियों ने अपने माता-पिता की अधूरी इच्छा को पूरा करने का निश्चय किया। चारों बच्चों बड़े बेटे दिनेश, छोटे बेटे विनोद, बेटियों मंजू और अंजूने मिलकर इस आयोजन को भव्य रूप दिया। बहुएं बसंती और उर्मिला तथा दामाद शिवशंकर और अशोक ने भी हर रस्म में सक्रिय भागीदारी निभाई।
हल्दी, बरात और वरमाला, फिर सजी पुरानी रस्में
आयोजन की शुरुआत हल्दी की रस्म से हुई, जिसमें परिवार के हर सदस्य ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इसके बाद दूसरे दिन बारात निकाली गई, जिसमें ढोल-नगाड़ों की थाप पर रिश्तेदार और स्थानीय लोग जमकर नाचे।
दूल्हा बने बलदेव प्रसाद सोनी ने पारंपरिक धोती-कुर्ता और पगड़ी पहनकर सबका दिल जीत लिया। वहीं दुल्हन बनीं बेचनी देवी ने साड़ी, गहने और फूलों से सजी माला में बेहद खूबसूरत लग रही थीं।
दोनों ने जब एक-दूसरे को वरमाला पहनाई, तो पूरा माहौल तालियों और हंसी से गूंज उठा। परिवार के सदस्यों ने बताया कि इस (Golden Wedding Anniversary) समारोह का मकसद सिर्फ जश्न नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को रिश्तों की अहमियत और संस्कारों से परिचित कराना था। पूरे कार्यक्रम में आनंद, स्नेह और भावनाओं का माहौल बना रहा। स्थानीय लोगों ने कहा कि यह शादी नहीं, बल्कि “समर्पण और प्रेम की मिसाल” थी।
परपोते ने निभाई सारथी की भूमिका
बलदेव और बेचनी देवी के दो बेटे, दो बेटियां, चार पोते-पोतियां और एक परपोता है। इस आयोजन की सबसे खास बात यह रही कि उनकी बरात में परपोता तनिष्क सर्राफ सारथी बना। वह कार में दूल्हा-दुल्हन (Golden Wedding Anniversary) को बैठाकर पूरे मोहल्ले में घुमाने निकला। लोगों ने तालियां बजाकर स्वागत किया और बुजुर्ग दंपती को आशीर्वाद दिया। परिवार ने कहा कि इतने लंबे समय तक एक साथ जीवन बिताना और परपोते के साथ अपनी शादी की बरात में बैठना, किसी सौभाग्य से कम नहीं। बुजुर्ग दंपती ने कहा कि जीवन के इस पड़ाव में फिर से शादी की रस्में निभाना उनके लिए सपने जैसा है। बेचनी देवी ने मुस्कुराते हुए कहा, “जब हमारी शादी हुई थी तब कुछ भी नहीं था।
आज बच्चों ने हमारे लिए जो किया है, वो किसी वरदान से कम नहीं। दूल्हा बलदेव प्रसाद ने कहा, “यह सिर्फ शादी नहीं, बल्कि जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव में साथ निभाने का जश्न है। परिजनों और स्थानीय लोगों ने बताया कि यह आयोजन आने वाली पीढ़ी को यह सिखाने के लिए किया गया कि असली खुशी पैसों में नहीं, रिश्तों की मजबूती में होती है। लोगों ने कहा कि इस तरह का आयोजन समाज को यह संदेश देता है कि प्यार और साथ का रिश्ता कभी बूढ़ा नहीं होता। यह (Golden Wedding Anniversary) आयोजन सिर्फ वर्षगांठ नहीं, बल्कि प्रेम, समर्पण और परिवारिक एकता का जीवंत उदाहरण बन गया।
