सीजी भास्कर, 4 नवंबर। गौतम अदाणी के नेतृत्व वाली अदाणी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises Rights Issue) ने अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर कारोबार को और मजबूत करने के लिए राइट्स इश्यू के माध्यम से 25 हजार करोड़ रुपये जुटाने की योजना की घोषणा की है। कंपनी के निदेशक मंडल ने पात्र शेयरधारकों को इक्विटी शेयर जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
यह कदम कंपनी के पूंजी ढांचे को मजबूत करने और नए प्रोजेक्ट्स में निवेश के उद्देश्य से उठाया गया है। अदाणी समूह के अनुसार, जुटाई गई पूंजी का इस्तेमाल ग्रीन एनर्जी, लॉजिस्टिक्स, डेटा सेंटर और पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर (Adani Enterprises Rights Issue) जैसे क्षेत्रों में विस्तार के लिए किया जाएगा।
2023 में रद्द किया गया था पिछला फॉलो-ऑन ऑफर (FPO)
कंपनी ने 2023 में 20 हजार करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) की योजना बनाई थी, जो पूरी तरह सब्सक्राइब हो गया था। हालांकि, अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद कंपनी ने उस FPO को वापस ले लिया था। अब दो साल बाद यह समूह का सबसे बड़ा राइट्स इश्यू होगा।
दूसरी तिमाही में 84% बढ़ा मुनाफा
जुलाई-सितंबर 2025 तिमाही के दौरान अदाणी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises Rights Issue) का शुद्ध लाभ 84 प्रतिशत बढ़कर ₹3,199 करोड़ पर पहुंच गया है। लाभ में वृद्धि का मुख्य कारण कंपनी द्वारा अपनी सहायक इकाई एडब्ल्यूएल एग्री बिजनेस लिमिटेड (पूर्व में अदाणी विल्मर) में से 13.51 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री है।
इस सौदे से कंपनी को ₹3,583 करोड़ रुपये की एकमुश्त आय हुई। हालांकि, इस राशि को हटाने के बाद समायोजित शुद्ध लाभ एक साल पहले के ₹2,408.89 करोड़ की तुलना में घटकर ₹814.35 करोड़ रह गया है।
कोयला कारोबार में गिरावट का असर
कंपनी ने बताया कि उसका प्रमुख कोयला व्यापार सेक्टर इस तिमाही में कमजोर रहा, जिससे राजस्व वृद्धि पर असर पड़ा है। फिर भी, अन्य क्षेत्रों में मजबूती ने कंपनी के समग्र प्रदर्शन को संभाले रखा। अदाणी समूह की एक और इकाई अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन का भी शुद्ध लाभ इस तिमाही में 29 प्रतिशत बढ़कर ₹3,120 करोड़ रुपये रहा। समूह के अनुसार, लॉजिस्टिक्स और पोर्ट सेक्टर में बढ़ती मांग और परिचालन दक्षता में सुधार से मुनाफा बढ़ा है।
वित्तीय विश्लेषकों का कहना है कि राइट्स इश्यू से कंपनी की बैलेंस शीट और मजबूत होगी और यह अदाणी समूह के पुनरुद्धार चरण में अहम मील का पत्थर साबित हो सकता है। निवेशकों के लिए यह पूंजी जुटाने का कदम कंपनी के प्रति भरोसा बढ़ाने वाला माना जा रहा है।
